आदत निर्माण का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं विशेषताएं | Habit Formation in hindi

▶आदत का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Habit)

सामान्यतः व्यक्ति जो कुछ करने का आदी हो जाता है उसे उसकी आदत कहते हैं. जैसे- चाय पीने की आदत एवं गुटका खाने की आदत, परंतु मनोविज्ञान में आदत को ऐसे सीखे हुए व्यवहार के रूप में लिया जाता है जो बार-बार दोहराने से स्वचालित हो जाता है. जैसे प्रारंभ में बालक का साइकिल चलाना सीखना है कि कैसे हैंडल को संतुलित किया जाए; कैसे हैंडल को घुमाया जाए; लेकिन बार-बार साइकिल चलाने से एक स्थिति ऐसी आती है कि वह बिना सोचे समझे साइकिल चलाने लगता है, स्थिति अनुसार उसका हैंडल स्वयं घूमने लगता है और तब हम कह सकते हैं कि साइकिल चलाना उसकी आदत बन गई है. समय से उठना, सही ढंग से उठना-बैठना, सही ढंग से खाना-पीना, सही ढंग से बोलना-चालना आदि ये सब बच्चा पहले तो सीखता है, उसके बाद यह सब स्वचालित रूप में होने लगते हैं. उनके लिए उसे कोई प्रयास नहीं करना पड़ता और ये सब उसकी आदत बन जाते हैं.

आदत निर्माण (Habit Formation in Psychology)

गैरेट के अनुसार, "आदत उस व्यवहार का नाम है जो बार-बार दोहराए जाने के कारण स्वचालित रूप में होने लगता है."

लैडेल के अनुसार, "आदत कार्य का वह रूप है जो प्रारंभ में अपनी इच्छा से जान-बूझकर किया जाता है परंतु बार-बार किए जाने के कारण वह स्वचालित हो जाता है."

▶आदतों के प्रकार (Kinds of Habits)

सामान्यतः आदतों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है- अच्छी आदतें (Good Habits) और बुरी आदतें (Bad Habits). मनोवैज्ञानिक बरनार्ड (Bernard) ने आदतों को 3 वर्गों में विभाजित किया है- शारीरिक आदतें (Physical Habits), मानसिक आदतें (Mental Habits) और संवेगात्मक आदतें (Emotional Habits). मनोवैज्ञानिक वैलेंटाइन (Valentine) ने आदतों को निम्नलिखित 7 वर्गों में विभाजित किया है-

(1). यांत्रिक आदतें (Mechanical Habits)- इस वर्ग में वैलेंटाइन ने उन आदतों को रखा है जिनका संबंध शारीरिक क्रियाओं से होता है और जिन्हें वह एक बार सीखने के बाद अपने शरीर के अंगों से यंत्रवत करने लगता है; जैसे साइकिल चलाना.

(2). शारीरिक इच्छा से संबंधित आदतें (Habits of Physiological Desire)- इस वर्ग में वैलेंटाइन ने उन आदतों को रखा है; जो व्यक्ति के शारीरिक इच्छा के कारण बार-बार करने से बनती है; जैसे- चाय पीने की आदत एवं गुटका खाने की आदत.

(3). नाड़ी तंत्र संबंधी आदतें (Nervous Habits)- इस वर्ग में वैलेंटाइन ने मनुष्यों की उन आदतों को रखा है जो इसके नाडी संतुलन के अभाव में संवेगात्मक असंतुलन के कारण बन जाती हैं; जैसे- बार-बार आंखें झपकाना.

(4). भाषा संबंधी आदतें (Habits of speech)- इस वर्ग में वैलेंटाइन ने मनुष्यों की उन आदतों को रखा है जो उसके बोलने के उच्चारण, बोलने के स्वर एवं बोलने की गति आदि से संबंधित होती है. जैसे- हमेशा ऊंचे स्वर में बोलना.

(5). विचार संबंधी आदतें (Habits of Thought)- इस वर्ग में वैलेंटाइन ने मनुष्य के ज्ञान एवं विचार संबंधी आदतों को रखा है; जैसे- बात-बात पर तर्क करने की आदत.

(6). भावना संबंधी आदतें (Habits of Feeling)- इस वर्ग में वैलेंटाइन ने मनुष्य की उन आदतों को रखा है जिनका संबंध उसकी भावनाओं से होता है; जैसे- पशु-पक्षियों की सेवा करना.

(7). नैतिक आदतें (Moral Habits)- इस वर्ग में वैलेंटाइन ने मनुष्यों की उन आदतों को रखा है जो नैतिक मूल्यों पर आधारित होती हैं; जैसे- सत्य बोलना.

▶आदतों की विशेषताएं (Characteristics of Habits)

मनुष्य में अनेक अच्छी बुरी आदतें होती हैं. इनका निर्माण विशेष रूप से पर्यावरण एवं अभ्यास दो तत्वों पर निर्भर करता है. जब किसी बालक में कोई आदत पड़ जाती है तो वह स्वचालित हो जाती है और स्थाई रूप धारण कर लेती है, उसे छुड़ाना कठिन होता है. यही आदतों की विशेषताएं होती हैं.

(1). पर्यावरण की देन (Environment Product)- आदतों के निर्माण में वंशानुक्रम की अपेक्षा पर्यावरण अधिक निर्भर करता है. बालक के पर्यावरण में व्यक्ति जिस प्रकार उठते-बैठते, चलते-फिरते, बोलते-चालते और व्यवहार करते हैं, बालक उनका अनुकरण कर वही सब सीखता है और उन्हें बार-बार दोहराने पर वे ही उसकी आदत बन जाते हैं. सच बोलने और दूसरों की सहायता करने जैसी अच्छी आदतें हैं और बीड़ी-सिगरेट पीना और गुटका खाने जैसी बुरी आदतों का निर्माण पर्यावरण की ही देन होता है.

(2). स्वचालित (Automatic)- मनुष्यों में जिन आदतों का निर्माण एक बार हो जाता है, उन्हें करने में उसे कुछ सोचना-विचारना नहीं पड़ता, परिस्थिति उत्पन्न हुई की आदत की क्रिया संपन्न हुई.

(3). कम थकान (Less Fatigue)- जिस मनुष्य को जिस प्रकार के सहायक अथवा मानसिक कार्य करने की आदत होती है, उसे उन कार्यों को करने में अपेक्षाकृत बहुत कम थकान होती है.

(4). एकरूपता (Uniformity)- मनुष्य को जिस प्रकार के कार्य करने अथवा व्यवहार करने की आदत होती है, उनमें एकरूपता होती है.

(5). स्थायित्व (Stability)- एक बार मनुष्य में जो आदत पड़ जाती है, वह स्थाई हो जाती है उसे दूर करना बहुत कठिन होता है.

(6). चरित्र के अंग (Parts of Character)- मनुष्य के चरित्र की पहचान उसकी आदतों से होती है. समाज सम्मत एवं नैतिक आदतों वाला व्यक्ति चरित्रवान कहलाता है और समाज की मान्यताओं एवं नैतिकता के प्रतिकूल आदतों वाला व्यक्ति चरित्रहीन कहलाता है.

▶आदतों का शिक्षा में महत्व (Importance of Habits in Education)

विद्यालय में प्रवेश करने से पहले बच्चों में बहुत सी अच्छी-बुरी आदतें पड चुकी होती हैं, उनमें से कुछ बच्चों की शिक्षा में सहायक होती हैं और कुछ बाधक. शिक्षा में सहायक एवं बाधाक आदतों की सूची निम्नलिखित है-

S.No. शिक्षा में सहायक आदतें S.No. शिक्षा में बाधक आदतें
1.
सफाई की आदत. 1.
गंदगी की आदत।
2.
समय से उठने की आदत. 2.
विलंब से उठने की आदत।
3.
शारीरिक एवं मानसिक श्रम करने की आदत. 3.
शारीरिक एवं मानसिक श्रम न करने की आदत।
4.
सत्य बोलने की आदत. 4.
झूठ बोलने की आदत।
5.
समय से विद्यालय आने की आदत. 5.
विलंब से विद्यालय आने की आदत।
6.
समय से काम करने की आदत. 6.
समय से कामना करने की आदत।

▶सीखने में अच्छी आदतों का प्रभाव (Impact of good habits in Learning)

  • अच्छी आदतें बच्चों को शारीरिक एवं मानसिक दोनों दृष्टियों से संतुलित रखती हैं. वे किसी भी कार्य को धैर्यपूर्वक और समय से करते हैं.
  • आदतें बच्चों के स्वभाव का अंग होती हैं, उन्हें आदतों के द्वारा कार्य करने में प्रयत्न नहीं करना पड़ता, उनके करने में वे शीघ्र थकते भी नहीं है.
  • जब कोई सिखा हुआ कार्य बच्चे की आदत का अंग बन जाती है तो वह फिर सरलता से उसे नहीं भूलता.
  • सीखने में समय की बचत होती है और शक्ति भी कम लगती है.
  • अच्छी आदतें चरित्र एवं व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होती हैं.

▶सीखने में बुरी आदतों का कुप्रभाव (Bad habits in Learning)

  • बुरी आदतें बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक संतुलन में बाधक होती हैं.
  • जिन बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक श्रम करने की आदत नहीं होती वे सीखने में शीघ्र थक जाते हैं.
  • जिन बच्चों में समय से उठने, समय से विद्यालय आने और समय से अपने कार्य करने की आदत नहीं होती वह सीखने में पिछड़ जाते हैं.
  • बुरी आदतों के कारण बच्चों के चरित्र एवं व्यक्तित्व निर्माण में भी बाधा पड़ती है.

▶अच्छी आदतों का निर्माण करना (Building Good Habits)

शिक्षा का एक उद्देश्य बच्चों में अच्छी आदतों का निर्माण करना होता है, क्योंकि अच्छी आदतें सीखने में सहायक होती हैं, उनसे ही बच्चों के चरित्र और बच्चों के व्यक्तित्व का निर्माण होता है. मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स (William Jams) ने बच्चों में अच्छी आदतों के निर्माण के लिए निम्नलिखित 4 उपाय बताए हैं-

1. दृढ़ संकल्प (Determination)- सर्वप्रथम बच्चे और शिक्षक दोनों इसके लिए दृढ़ संकल्पित होने चाहिए. जब तक सीखने वाले बच्चे और सिखाने वाले शिक्षक इसके लिए दृढ़ संकल्प नहीं करते तब तक यह कार्य सही ढंग से नहीं किया जा सकता.

2. क्रियान्वयन (Action)- जेम्स के अनुसार बच्चे और शिक्षक दोनों ही संकल्प के अनुसार तुरंत कार्य शुरू करें; तभी यह कार्य किया जा सकता है. केवल सोचने एवं दृढ़ संकल्प करने भर से कोई कार्य पूरा नहीं होता.

3. निरंतरता (Continuity)- जेम्स के अनुसार जब तक कोई आदत स्थाई ना हो जाए तब तक उसके निर्माण के लिए निरंतर प्रयत्न करना चाहिए.

4. अभ्यास (Exercise)- जेम्स ने इस बात पर भी बल दिया है कि शिक्षक बच्चों में जिन आदतों का निर्माण करना चाहे उनका प्रतिदिन अभ्यास होना चाहिए. अभ्यास से ही कोई कार्य आदत बन जाता है.

▶बुरी आदतों को छुड़ाना (Break Bad Habits)

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार स्कूली बच्चों की बुरी आदतों को छुड़ाने के लिए शिक्षक को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-

1. आत्म सुझाव (Auto Suggestion)- सर्वप्रथम तो शिक्षक को ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करना चाहिए कि बच्चे स्वयं बुरी आदतों को छोड़ने की सोचें.

2. दृढ़ संकल्प (Determination)- यह भी आवश्यक है कि सर्वप्रथम बालक बुरी आदतें छोड़ने के लिए दृढ़ संकल्प करें और साथ ही शिक्षक भी उनकी बुरी आदतें छुड़ाने के लिए दृढ़ संकल्प करें.

3. स्थानापन्न (Replacement)- इसका अर्थ है बुरी आदतों के स्थान पर अच्छी आदतों का निर्माण. बच्चों में सत्य बोलने की आदत का निर्माण करा दिया जाए तो उनकी झूठ बोलने की आदत अपने आप समाप्त हो जाएगी.

4. सही पर्यावरण (Right Environment)- अच्छी आदतों के निर्माण और बुरी आदतों की समाप्ति तभी संभव होती है जब बालकों को उनके लिए परिवार, पास-पड़ोस और विद्यालय सभी स्थानों में उचित पर्यावरण मिले.

5. आवश्यकताओं की पूर्ति (Needs Satisfaction)- बच्चे चोरी प्रायः अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करते हैं और झूठ भी वह प्रायः इसीलिए बोलते हैं. यदि बच्चों की उचित आवश्यकताओं की पूर्ति समय पर कर दी जाए तो चोरी करना और झूठ बोलना जैसी बुरी आदतों का दूर किया जा सकता है.

6. पुरस्कार एवं दंड (Reward and Punishment)- बुरी आदतों के लिए थोड़ा दंड और अच्छी आदतों के लिए भरपूर पुरस्कार भी बुरी आदतों के छुड़ाने में सहायक होते हैं.

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