शैक्षिक तकनीकी का अर्थ, विशेषताएं, प्रकृति एवं क्षेत्र | Educational Technology in Hindi
शैक्षिक तकनीकी का अर्थ (Meaning of Educational Technology)
‘एजुकेशनल टेक्नॉलॉजी’ (Educational Technology) शब्द, दो शब्दों से मिलकर बना है- एक, ‘एजुकेशन’ और दूसरा, ‘टेक्नॉलॉजी’। एजुकेशन का अर्थ है शिक्षा देना, पढ़ाना या प्रशिक्षित करना। अतः जब शिक्षक अपने शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए विभिन्न तकनीकी साधनों की मदद लेता है जिससे शिक्षण एवं अधिगम दोनों प्रभावित होते हैं तो उसे शिक्षण तकनीकी कहा जाता है।
शिक्षा से तात्पर्य बालक के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाना है। शिक्षा से बालक की मूलप्रवृत्तियाँ परिमार्जित होती हैं। मूलप्रवृत्तियों के परिमार्जन में मनोविज्ञान, तकनीकी तथा विज्ञान अपना प्रभावपूर्ण योगदान शिक्षा के क्षेत्र में प्रदान करता है। अतः शिक्षा स्वयं में एक आत्मनिर्भर (Independent) प्रत्यय नहीं है वरन् यह तकनीकी विज्ञान से सम्बन्धित है। वैज्ञानिक व्यवस्थाओं तथा प्रविधियों का प्रयोगात्मक रूप ही तकनीकी या तकनीकी विज्ञान है। आज विज्ञान के युग में वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी अविष्कारों ने मानव जीवन के हर पक्ष को प्रभावित किया है जिनसे शिक्षा, शिक्षण तथा अधिगम भी बहुत प्रभावित हुए हैं। शैक्षिक तकनीक में मुख्यतः दो बिंदु निहित है।
- शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति करना
- शिक्षण की क्रियाओं का यंत्रीकरण करना।
शैक्षिक तकनीकी की अवधारणा (Concept Of Educational Technology)
आज के युग में मानव जीवन का प्रत्येक पक्ष वैज्ञानिक खोज तथा अविष्कारों से प्रभावित है। शिक्षा का क्षेत्र भी इसके प्रभाव से मुक्त नहीं रह सका है। रेडियो, टेप रिकॉर्डर, टेलीविजन, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर आदि का बढ़ता हुआ उपयोग शिक्षा को तकनीकी के निकट लाता जा रहा है। शिक्षा शास्त्र का कोई भी अंग चाहे वह विधियों-प्रविधियों का हो, चाहे उद्देश्यों का हो, चाहे शिक्षा प्रक्रिया का हो, चाहे शोध का हो बिना तकनीकी के अपंग सा महसूस होता है। तकनीकी विज्ञान इतना समृद्ध और शक्तिशाली होता जा रहा है कि बिना इसके अध्ययन किए छात्राध्यापकों का शिक्षण संबंधी ज्ञान या उनके परीक्षण तथा प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान और कौशल अधूरे रह जाते हैं। शैक्षिक तकनीकी ने शिक्षा के क्षेत्र में पुरानी अवधारणाओं में आधुनिक संदर्भ के साथ अभूतपूर्व क्रांतिकारी परिवर्तन कर उन्हें एक नवीन स्वरूप प्रदान किया है।
शिक्षा में तकनीकी का इस्तमाल तो होना ही चाहिए इसमें कोई शंक़ा नहीं है लेकिन इसके साथ में आपको टाइम टेबल की भी काफ़ी ज़्यादा ज़रूरत पड़ सकती है। बहुत से छात्रों को ये ही नहीं पता की टाइम टेबल कैसे बनाएं? टाइम टेबल के होने से आपका कार्य बहुत ही आसान हो जाता है और आपकी दक्षता भी बढ़ जाती है।
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शैक्षिक तकनीकी की परिभाषाएँ (Definition of Educational Technology)
1. डॉ. एस. एस. कुलकर्णी के अनुसार, “शैक्षिक तकनीकी उन सभी प्रणालियों, विधियों एवं माध्यमों का विज्ञान है जिसके द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है।”
2. जे. पी. डिसिको के अनुसार, “शैक्षिक तकनीकी व्यावहारिक शिक्षण की समस्याओं में अधिगम मनोविज्ञान के विस्तृत प्रयोग का एक रूप है।”
3. बी. एफ. स्किनर के अनुसार, “शिक्षण तकनीकी वह शास्त्र है जो शिक्षा की प्रभावशीलता में वृद्धि करता है तथा संपूर्ण शिक्षण प्रक्रिया के अपेक्षाकृत अधिक समुन्नत करता है।”
4. आई. के. डेविस के अनुसार, “शैक्षिक तकनीकी का संबंध शैक्षिक और प्रशिक्षण के संदर्भ में समस्याओं से होता है और उसमें अधिगम के स्रोतों के संगठन में अनुशासित और प्रणाली उपागम के प्रयोग की क्षमता विशेष होती है।”
शैक्षिक तकनीकी के उद्देश्य (Objectives of Educational Technology)
शैक्षिक तकनीकी के उद्देश्य शैक्षिक तकनीकी के उद्देश्य निम्न प्रकार हैं-
- पाठ्यवस्तु का विश्लेषण करना जिससे उसके तत्वों अथवा घटकों को क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित किया जा सके.
- विद्यार्थियों की उपलब्धियों को निर्धारित उद्देश्यों के संबंध में मूल्यांकन कर शिक्षण में सुधार लाना.
- पुनर्बलन की प्रविधियों का चयन करना तथा उनका प्रयोग करना.
- शिक्षण को सरल, स्पष्ट, रुचिकर, वैज्ञानिक, वस्तुनिष्ट, बोधगम्य एवं प्रभाव उत्पादक बनाना.
- ज्ञान का संचय, विकास एवं प्रसार करना.
- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में अपेक्षित सुधार लाना.
- शिक्षकों में शिक्षण कौशलों का विकास कर उनकी योग्यता एवं क्षमताओं में वृद्धि करना.
- शिक्षण के उद्देश्यों का निर्धारण करना जिससे शिक्षण तथा जांच में सुगमता हो सके.
- छात्रों के गुणों, क्षमताओं, उपलब्धियों एवं कौशलों का विश्लेषण करना.
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शैक्षिक तकनीकी की विशेषताएं (Characteristics of Educational Technology)
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर शैक्षिक तकनीकों की निम्न विशेषताएं हैं-
- शैक्षिक तकनीकों का उद्देश्य शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का विकास करना है।
- शैक्षिक तकनीकी शिक्षा से विज्ञान एवं तकनीकी का अनुप्रयोग है।
- शैक्षिक तकनीकी समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, भाषा, भौतिक विज्ञान इत्यादि का उपयोग करती है।
- शैक्षिक तकनीकी को शैक्षिक साधनों (रेडियो, टेपरिकार्डर, दूरदर्शन) के साथ मिलाया नहीं जा सकता। यह तो एक अभिगमन है।
- शैक्षिक तकनीकी में विज्ञान के व्यावहारिक पक्ष पर बल दिया जाता है।
- यह निरन्तर प्रयोगात्मक एवं विकासशील विषय है।
- यह वातावरण संसाधनों, विधियों के नियन्त्रण द्वारा अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाती है।
- इसमे शिक्षा के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये अधिगम दशाओं का संगठन शामिल होता है।
- शैक्षिक तकनीकी का सम्बन्ध शिक्षा की समस्याओं उनके विश्लेषण, निराकरण से होता है।
- शैक्षिक तकनीकी शिक्षण को सरल, स्पष्ट, रुचिकर, बोधगम्य एवं प्रभावशाली बनाती हैं।
- शैक्षिक तकनीकी शिक्षण की विभिन्न विधियों प्रविधियों युक्तियों का विकास पर शिक्षा को छात्र केन्द्रित बनाने में योगदान देती है।
- शैक्षिक तकनीकी के द्वारा शिक्षा के तीनों प्रकार के उद्देश्यों की प्राप्ति सम्भव हो पाती है।
शैक्षिक तकनीकी की प्रकृति (Nature of Educational Technology)
- शैक्षिक तकनीकी शिक्षा को दूर-दराज के इलाकों में फैलाने में सहायता देती है।
- यह शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अधिगम की परिस्थितियों में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन लाने में सहायक है।
- शैक्षिक तकनीकी स्वयं से सीखने को बढ़ावा देती है।
- शैक्षिक तकनीकी अधिगम की प्रक्रिया को अधिक सरल और सशक्त बनाती है।
- शैक्षिक तकनीकी के विकास के फल स्वरुप शिक्षण में नवीन शिक्षण विधियों तथा नवीन शिक्षण तकनीकी का विकास हुआ है।
- शैक्षिक तकनीकी शिक्षा पर विज्ञान तथा तकनीकी के प्रभाव को प्रदर्शित करती है।
- शैक्षिक तकनीकी निरंतर विकसित होती रहती है इसमें शिक्षक छात्र तथा तकनीकी प्रक्रियाएँ है जो एक साथ मिलकर काम करते हैं।
- शैक्षिक तकनीकी का उद्देश्य सीखने सिखाने की प्रक्रिया को विकसित करना है।
- यह मनोविज्ञान, इंजीनियरिंग आदि विज्ञानों के नियम से सहायता लेती है।
- इसमें क्रमबद्ध उपागम को प्रधानता दी जाती है।
शैक्षिक तकनीकी का क्षेत्र (Scope of Educational Technology)
शैक्षिक तकनीकी का क्षेत्र इसकी अवधारणा के अनुरूप है। यदि हम शैक्षिक तकनीकी को श्रव्य-दृश्य साधनों के रूप में लेते हैं तो इसका क्षेत्र, शिक्षा में केवल श्रव्य-दृश्य साधनों तक ही सीमित रहता है। यदि शैक्षिक तकनीकी का तात्पर्य हम अभिक्रमित अध्ययन लेते हैं तो इसके क्षेत्र में अभिक्रमित-अधिगम अध्ययन सामग्री ही आती है। यदि शैक्षिक तकनीकी का अर्थ हम व्यवस्था उपागम के रूप में लेते हैं तो इसका क्षेत्र काफी बढ़ जाता है। डैरक रौन्ट्रा ने इसके निम्नांकित क्षेत्र बताये हैं-
- अधिगम के लक्ष्य तथा उद्देश्य चिन्हित करना।
- अधिगम वातावरण का नियोजन करना।
- विषय-वस्तु की खोज करना तथा उन्हें संरचित (Structuring) करना।
- उपयुक्त शिक्षण व्यूह रचनाओं (Teaching Strategies) तथा अधिगम संचार (Learning Media) का चयन करना।
- अधिगम व्यवस्था की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना।
- भविष्य में प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये मूल्यांकन के आधार पर वांछित सूझ-बूझ प्राप्त करना।
शैक्षिक तकनीकी को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing Educational Technology)
किसी भी राष्ट्र में शैक्षिक तकनीकी का विकास अनेक कारकों पर निर्भर रहता है। इन कारकों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-
1. राजनैतिक कारक (Political Factors)— राजनैतिक कारकों से तात्पर्य है वे कारक जो राष्ट्र की राजनीतिक परिस्थितियों, राजनीतिक नीतियों तथा वैज्ञानिक अन्वेषणों एवं राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति से सम्बन्धित होते हैं। यदि शासन करने वाली पार्टी को लगता है कि किन्हीं तकनीकी विशेष के प्रयोग से उन्हें ज्यादा लाभ सम्भव है तो वह उनके विकास के लिये भरपूर प्रयास करेगी। टेलीविजन तथा दूरसंचार के क्षेत्र में छुपे अभिनव प्रयोगों में तथा उनके प्रचार-प्रसार में राजनीतिक कारकों का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हाथ रहा है।
2. मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological Factors)— मनोवैज्ञानिक कारकों के अन्तर्गत शिक्षकों, छात्रों तथा शिक्षालयों की रुचि, स्तर, प्रवृत्तियों आदि का समावेशन होता है। शिक्षकों की अभिप्रेरणा, सीखने-सिखाने की इच्छा-शक्ति, ध्यान एवं रुचि आदि का प्रभाव मनोवैज्ञानिक कारकों के अन्तर्गत समावेशित होते हैं।
3. शैक्षिक कारक (Educational Factors)— शैक्षिक कारकों में शिक्षकों की शिक्षा एवं प्रशिक्षण मुख्य कारक हैं। यदि शिक्षकों को शैक्षिक तकनीकी के क्षेत्र में उचित स्तर का सुनियोजित प्रशिक्षण प्रदान किया जाये तो ये शिक्षक शैक्षिक तकनीकी के विकास में मील के पत्थर सिद्ध हो सकते हैं। ये शिक्षक शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न उपागमों का प्रयोग करने के लिये प्रयोगशाला का कार्य करने में सक्षम हो सकते हैं।
4. आर्थिक कारक (Economic Factors)— शैक्षिक तकनीकी के विकास में आर्थिक कारक भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। किसी भी प्रयोग, अन्वेषण तथा खोज की रीढ़ ‘धन’ होता है। बिना समुचित धन के किसी भी तकनीकी का विकास, प्रसार तथा प्रशिक्षण सम्भव नहीं। शैक्षिक तकनीकी में श्रव्य-दृश्य साधनों तथा अन्य उपकरणों के लिये तथा शैक्षिक तकनीकी की प्रयोगशाला निर्माण करने के लिये भी आर्थिक अनुदान चाहिये। बिना अर्थ के न तो उपकरण खरीदे जा सकते हैं और न ही प्रयोग हो सकते हैं और न ही किसी प्रकार के परिष्करण व अन्वेषण का कार्य सम्भव है।
5. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक (Social and Cultural Factors)— समाज एवं संस्कृति शिक्षा का दर्पण है। जैसा समाज होगा, जैसी संस्कृति होगी वैसी ही वहाँ की शिक्षा होगी। यदि समाज में शैक्षिक तकनीकी के प्रति जागरूकता है, वांछित नेतृत्व का बोलबाला है तथा संस्कृति की नस-नस में तकनीकी का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है तो निःसंदेह शैक्षिक-तकनीकी के क्षेत्र में भी भविष्य उज्ज्वल रहेगा।
शैक्षिक तकनीकी की सीमाएँ (Limitation Of Educational Technology)
- यह ज्ञानात्मक क्षेत्र के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रही है लेकिन भावात्मक एवं क्रियात्मक क्षेत्र में योगदान सीमित ही है।
- इसके प्रारंभिक प्रयोग में अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के उपकरण एवं सामग्री खरीदनी पड़ती है।
- इसके प्रयोग के लिए विशेष प्रकार के शिक्षण की आवश्यकता होती है।
- इसके माध्यम से सभी प्रकार के समस्याओं का समाधान करना संभव नहीं होता है।
- शैक्षिक तकनीकी कठोर शिल्प की मशीनों के निर्माण से संबंधित नहीं है।
- शैक्षिक तकनीकी इंजीनियरिंग की तकनीकी शिक्षा नहीं है।
शैक्षिक तकनीकी की उपयोगिता (Utility of Educational Technology)
शैक्षिक तकनीकी की उपयोगिता आज दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विश्व का प्रत्येक देश इसे अपना रहा है। कोठारी कमीशन (1966) ने अपनी एक टिप्पणी में कहा है, पिछले कुछ सालों में भारत के विद्यालयों में कक्षा-अध्ययन को फिर से जीवन-दान देने या उसे अनुप्रमाणित करने की प्रविधियों पर काफी ध्यान दिया गया है। बुनियादी शिक्षा का पहला उद्देश्य प्राइमरी स्कूलों के सारे जीवन और कार्य-कलापों में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाना एवं बच्चे के मन, शरीर तथा आत्मा का सर्वोत्तम तथा सर्वांगीण विकास करना था। इस दृष्टि से भी शैक्षिक तकनीकी का अपना महत्त्व स्वयंसिद्ध है।
1. शिक्षक के लिए उपयोगिता:- शैक्षिक तकनीको पर शिक्षक का पूर्ण अधिकार होता है। यदि शिक्षक, शैक्षिक तकनीकी का ज्ञान प्राप्त कर उसे व्यवहार में लाता है तो वह अपने छात्रों के व्यवहार का अध्ययन भली-भाँति कर सकता है। शैक्षिक तकनीकी शिक्षक को शिक्षण व्यूह रचनाओं के ज्ञान के साथ-साथ व्यवहार अध्ययन और व्यवहार सुधार की प्रणालियों से भी अवगत कराती है तथा वैज्ञानिकता का ज्ञान प्रदान करती हैं। शैक्षिक तकनीकी शिक्षक को यह बताने में सहायता प्रदान करती है कि किस समय किस प्रकरण को स्पष्ट करने के लिए कौन सी दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग किया जाये, रेडियो, टेलीविजन का उपयोग कर किस प्रकार से रेडियोविजन तथा कैसेट विजन का प्रयोग किया जाये तथा छात्रो की अध्ययन गति से अनुसार, उनके लिए कैसे अभिक्रमित अध्ययन सामग्री तैयार की जाये। माइक्रो टीचिंग, मिनी टीचिंग, समिलेटेड टीचिंग आदि नवीन विधियों का प्रयोग करने के लिए शैक्षिक तकनीकी शिक्षक का उचित मार्ग प्रदर्शन करती है।
2. प्रणाली उपागम का उपयोग:- शैक्षिक प्रशासन तथा प्रबन्ध से सम्बन्धित अनेक समस्याये शिक्षक के सामने आती हैं जिनका अध्ययन करने के लिए शिक्षक प्रणाली उपागम का प्रयोग कर सकता है। शिक्षक का कार्य किसी भी प्रकार का हो जैसे पाठ योजना बनाने का शिक्षण बेन्दुओं के चयन का या अन्य कोई कार्य हो वह शैक्षिक तकनीकी के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकता है। उसे निरन्तर शैक्षिक तकनीकी की सहायता लेनी पड़ेगी। आधुनिक तकनीकी युग में शिक्षकों में शैक्षिक तकनीकी की इस कारण भी आवश्यकता पड़ती है ताकि वह छात्रों के जीवन में शिक्षा के उद्देश्य तथा मनोविज्ञान की खामियो का अध्ययन करा सकें। छात्रों के व्यक्तित्व की भिन्नताओं को ध्यान में रखकर शिक्षक अभिक्रमित अनुदेशन का उपयोग करता है। अतः आधुनिक तकनीकी युग में शिक्षकों को शैक्षिक तकनीकी की अत्यन्त आवश्यकता है।
3. अधिगम के क्षेत्र में उपयोगिता:- शैक्षिक तकनीकी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली और सार्थक बनाने में योगदान देती है। जिससे शिक्षा को एक अर्थपूर्ण दिशा की ओर ले जाया जा सकता है। अधिगम के क्षेत्र में शैक्षिक तकनीकों की उपयोगिता विशेष रूप से सिद्ध हो रही है। शैक्षिक तकनीकी द्वारा शिक्षण तथा प्रशिक्षण की प्रभावपूर्ण विधियों तथा सिद्धान्तों की जानकारी प्राप्त होती है। इस क्षेत्र में शैक्षिक तकनीकी छात्रों को उनकी शिक्षण क्षमता के अनुसार ही ज्ञान कराती है। यह शिक्षण तथा प्रशिक्षण इन दोनों ही प्रक्रिया का वैज्ञानिक विवेचन करती है। सीखने के नये प्रतिमान, शैक्षिक तकनीकी की ही देन हैं। अत: हम कह सकते हैं कि शैक्षिक तकनीकी शिक्षण तथा प्रशिक्षण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली बनाने में सहायक है।
4. समाज के लिए उपयोगिता:- आधुनिक समय में जनसाधारण के पास रेडियो, ट्रांजिस्टर, टेप रिकॉर्डर, टेलीविजन आदि की सुविधायें है। शैक्षिक तकनीकी के द्वारा इनका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जा रहा है। अतः कहा जा सकता है कि शैक्षिक तकनीकी आज के तकनीकी युग में शिक्षक की उपादेयता बढ़ाती है तथा जनसाधारण के ज्ञानात्मक, प्रभावात्मक तथा मनोगत्यात्मक पक्षों का विकास करती है। शैक्षिक तकनीकी समाज के लिए ज्ञान के संचयन प्रचार प्रसार तथा विकास के लिए अत्यन्त उपयोगी है। शैक्षिक तकनीकी के द्वारा किसी शिक्षक नेता या समाज सुधारक को ज्ञान तथा कौशल को टेलीविजन, रेडियो तथा अभिभाषण आदि के द्वारा समाज के प्रत्येक भाग में सरलता से पहुंचाया जा सकता है। अत: इसको उपयोगिता समाज के लिए महत्त्वपूर्ण है।
शैक्षिक तकनीकी का प्रयोग शिक्षक को अनेक त्रुटियों से बचाता है। इस सन्दर्भ में गैरीसन का कथन निम्नलिखित है "यदि हम तकनीशियन हैं तो पहले से हो हमको जानकारी हो जाती है कि अमुक विधियाँ गलत होंगी। अतएव हमें त्रुटियों से बचाती हैं और मानवीय प्रेरकों का स्पष्टीकरण करती हैं। इस प्रकार व्यक्ति तथा समूह की समझ को प्राप्त करना सम्भव हो जाता है।"
शैक्षिक तकनीकी आज के तकनीकी युग में शिक्षक की उपादेयता बढ़ाती है, छात्रों व छात्राध्यापकों को प्रभावशाली विधि से सिखाती है और समाज के लिए ज्ञान के संचयन, प्रचार, प्रसार तथा विकास के लिए अत्यन्त उपयोगी है। शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से एक प्रभावशाली शिक्षक, नेता या समाज-सुधारक के ज्ञान तथा कौशल का उपयोग, टेलीविजन, टेप तथा रेडियो, अभिभाषण आदि के द्वारा समाज के प्रत्येक वर्ग तथा प्रत्येक भाग तक सरलता से पहुँचाया जा सकता है।