क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ, प्रकार, परिभाषाएं एवं उद्देश्य | Action Research Meaning, Types, Definitions and Objectives
क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research)
क्रियात्मक अनुसंधान एक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य मौलिक समस्याओं का अध्ययन करके नवीन तथ्यों की खोज करना, जीवन सत्य की स्थापना करना तथा नवीन सिद्धान्तों का प्रतिपादन करना है। अनुसंधान एक सोद्देश्य प्रक्रिया है, जिसके द्वारा मानव ज्ञान में वृद्धि की जाती है। इसमें अनुसंधानकर्ता विद्यालय के शिक्षक, प्रधानाध्यापक, प्रबंधक और निरीक्षक स्वयं ही होते हैं। इस अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य विद्यालय की कार्यप्रणाली में संशोधन कर सुधार लाना है। क्रियात्मक अनुसंधान को संपादित करने में शिक्षक, प्रधानाध्यापक, प्रबंधक और निरीक्षक वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हैं। अनुसंधान के अंतर्गत तत्कालीन प्रयोग पर अधिक बल देते हैं।
आधुनिक युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति लाने के लिए अनुसंधान कार्य को बहुत महत्व दिया जाता है. शिक्षा के क्षेत्र में आज अनेक ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं जिनका सामना शिक्षा से संबंधित प्रत्येक व्यक्तियों को करना पड़ता है. शिक्षा की विविध समस्याओं का समाधान करने के लिए और व्यवहारिक रूप से वांछित परिवर्तन करने के लिए शिक्षा क्षेत्र में भी शोध कार्य या अनुसंधान की आवश्यकता है.
इस दृष्टि से शिक्षा क्षेत्र में जो अनुसंधान कार्य होते हैं वह शिक्षण के सिद्धांत पक्ष को सबल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, किंतु शिक्षा की क्रियात्मक या व्यावहारिक पक्ष में अनुसंधान कार्य से कोई विशेष लाभ नहीं हुआ. ऐसी स्थिति में एक ऐसी पद्धति की आवश्यकता का अनुभव किया गया जिसके फलस्वरूप विद्यालय से संबंधित समस्याओं का समाधान खोजा जा सके और विशिष्ट स्थिति में परिवर्तन और सुधार किया जा सके इन विचारों के फलस्वरुप क्रियात्मक अनुसंधान का महत्व बढ़ा.
क्रियात्मक अनुसंधान शिक्षक की समस्याओं के समाधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण उपकरण है. इसके अंतर्गत शिक्षण की समस्याओं का वैज्ञानिक विधि से समाधान खोजा जाता है. क्रियात्मक अनुसंधान विद्यालय के कार्य पद्धति में विकास करने का एक सबल साधन है. इसके माध्यम से शिक्षक अपनी कक्षा तथा विद्यालय के समस्याएं सुलझाने का प्रयत्न करता है. आज शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए अनुसंधान होते जा रहे हैं जिनका उद्देश्य शिक्षा को उत्तम बनाना है और शिक्षा संबंधित समस्याओं को सुलझाना है. क्रियात्मक अनुसंधान, अनुसंधान की प्रक्रिया को गति प्रदान करता है. क्रियात्मक अनुसंधान समस्याओं के अध्ययन की वैज्ञानिक पद्धति है, जो ज्ञान की खोज के लिए किया जाता है.
वास्तव में यह निरंतर गहरी तथा सौद्देश्य प्रक्रिया है, जो सत्य की खोज करती है. साथ ही साथ उसका लक्ष्य उन्नति एवं उत्तम करने मे सहायक है. अतः कहा जा सकता है कि अनुसंधान एक क्रमबद्ध वैज्ञानिक, वस्तुनिष्ठ तथा सौद्देश्य क्रिया है, जिसका प्रमुख ध्येय ज्ञान के क्षेत्र में वृद्धि करना, सत्यता की पुष्टि करना तथा नए तथ्यों, सत्यों एवं सिद्धांतों का निर्माण और प्रतिपादन करना होता है. शैक्षिक अनुसंधानों का अंतिम लक्ष्य शिक्षण नियमों तथा उनकी पुष्टि करना होता है.
क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Action Research)
विद्यालय से संबंधित व्यक्तियों द्वारा अपनी और विद्यालय की समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन करके अपनी क्रियाओं और विद्यालय की गतिविधियों में सुधार लाना क्रियात्मक अनुसंधान कहलाता है। इसकी कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:-
1. मेक ग्रेथटे के अनुसार, "क्रियात्मक अनुसंधान व्यवस्थित खोज की क्रिया है जिसका उद्देश्य व्यक्ति समूह की क्रियाओं में रचनात्मक सुधार तथा विकास लाना है।"
2.स्टीफन एम. कोरे के अनुसार, “शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान, कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाने वाला अनुसंधान है ताकि वे अपने कार्यों में सुधार कर सकें।"
3. मुनरो के अनुसार, "अनुसंधान समस्याओं को सुलझाने की वह विधि है, जिसमें सुझावों की पुष्टि तथ्यों द्वारा की जाती है।"
4. मौले के अनुसार, "शिक्षक के समक्ष उपस्थित होने वाली समस्याओं में से अनेक तत्काल ही समाधान चाहती है। मौके पर किये जाने वाले ऐसे अनुसंधान जिसका उद्देश्य तात्कालिक समस्या का समाधान होता है, शिक्षा में साधारणतः क्रियात्मक अनुसंधान के नाम से प्रसिद्ध है।"
क्रियात्मक अनुसन्धान के उद्देश्य (Objectives of Action Research)
- विद्यालय की कार्य प्रणाली में सुधार तथा विकास करना।
- छात्रों तथा शिक्षकों में प्रजातन्त्र के वास्तविक गुणों का विकास करना।
- विद्यालय के कार्य-कर्ताओं, शिक्षक, प्रधानाचार्य, प्रबन्धक तथा निरीक्षकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना।
- विद्यालय के कार्य-कर्ताओं में कार्य कौशल का विकास करना।
- शैक्षिक प्रशासकों तथा प्रबन्धकों को विद्यालयों की कार्य प्रणाली में सुधार तथा परिवर्तन के लिये सुझाव देना।
- विद्यालय की परम्परागत रूढ़िवादिता तथा यान्त्रिक वातावरण को समाप्त करना।
- विद्यालय की कार्य प्रणाली को प्रभावशली बनाना।
- छात्रों के निष्पत्ति स्तर को ऊँचा उठाना।
क्रियात्मक अनुसन्धान का क्षेत्र (Scope of Action Research)
क्रियात्मक अनुसन्धान को विद्यालय की कार्य प्रणाली के अधोलिखित क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है:-
- कक्षा शिक्षण विधियों एवं युक्तियों में सुधार लाना है।
- शिक्षण में प्रयुक्त होने वाली सहायक सामग्री जिसकी उपयोगिता के सम्बन्ध में निर्णय लेने के लिये इसका प्रयोग करते हैं।
- छात्रों की अभिरूचि, ध्यान, तत्परता तथा जिज्ञासा में वृद्धि के लिये इसे प्रयुक्त करते हैं।
- शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों में दिये जाने वाले गृह कार्यों की प्रणाली को प्रभावशाली बनाने के लिये इसे प्रयोग करते हैं।
- छात्रों की अनुसन्धान सम्बन्धी समस्याओं के समाधान के लिये इस प्रयुक्त करते हैं।
- भाषा शिक्षण में वर्तनी तथा वाचन की समस्याओं के लिये तथा भाषाई शुद्धि के लिए भी क्रियात्मक-अनुसन्धान को प्रयुक्त किया जाता है।
- छात्रों की अनुपस्थिति तथा विद्यालय विलम्ब से आने की समस्याओं के समाधान में इसे प्रयोग करते है।
- छात्रों एवं शिक्षक सम्बन्धी समस्याओं तथा छात्रों में परस्पर आदान-प्रदान की समस्याओं के लिये प्रयुक्त करते हैं।
- परीक्षा में छात्रों के नकल करने की समस्याओं के समाधान में प्रयोग करते हैं।
- विद्यालय के संगठन एवं प्रशासन से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु प्रयोग करते हैं।
क्रियात्मक अनुसंधान के चरण/सोपान (Steps of Action Research)
- समस्या का चयन
- उपकल्पना का निर्माण
- तथ्य संग्रहण की विधियाँ
- तथ्यों का संकलन
- तथ्यों का सांख्यिकीय विश्लेषण
- तथ्यों पर आधारित निष्कर्ष
- सत्यापन
- परिणामों की सूचना
एण्डरसन ने क्रियात्मक अनुसंधान के निम्न सात चरण बताये हैं:-
1. पहला सोपान (समस्या का ज्ञान):- क्रियात्मक-अनुसंधान का पहला सोपान है– विद्यालय में उपस्थित होने वाली समस्या को भली-भाँति समझना। यह तभी सम्भव है, जब विद्यालय के शिक्षक, प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य आदि उसके सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करें। ऐसा करके ही वे वास्तविक समस्या को समझकर अपने कार्य में आगे सुधार करना चाहते हैं।
2. दूसरा सोपान (कार्य के लिए प्रस्तावों पर विचार विमर्श):- क्रियात्माक-अनुसंधान का दूसरा सोपान है– समस्या को भली-भांति समझने के बाद इस बात पर विचार करना कि उसके कारण क्या हैं और उसका समाधान करने के लिए हमें कौन-से कार्य करने हैं। शिक्षक, प्रधानाचार्य, प्रबन्धक आदि इन कार्यों के सम्बन्ध में अपने-अपने प्रस्ताव या सुझाव देते हैं। उसके बाद वे अपने विश्वासों, सामाजिक मूल्यों, विद्यालयों के उद्देश्यों आदि को ध्यान में रखकर उन पर विचार-विमर्श करते हैं।
3. तीसरा सोपान (योजना का चयन व उपकल्पना का निर्माण):- क्रियात्मक-अनुसन्धान का तीसरा सोपान है- विचार-विमर्श के फलस्वरूप समस्या का समाधान करने के लिए एक योजना का चयन और उपकल्पना का निर्माण करना। इसके लिए विचार-विमर्श करने वाले सब व्यक्ति संयुक्त रूप से उत्तरदायी होते हैं। उपकल्पना में तीन बातों का सविस्तार वर्णन किया जाता है—
- समस्या का समाधान करने के लिए अपनाई जाने वाली योजना,
- योजना का परीक्षण,
- योजना द्वारा प्राप्त किया जाने वाला उद्देश्य।
4. चौथा सोपान (तथ्य संग्रह करने की विधियो का निर्माण):- क्रियात्मक-अनुसंधान का चौथा सोपान है– योजना को कार्यान्वित करने के बाद तथ्यों या प्रमाणों का संग्रह करने की विधियाँ निश्चित करना—इन विधियों की सहायता से जो तथ्य संग्रह किये जाते हैं, उनसे यह अनुमान लगाया जाता है कि योजना का क्या प्रभाव पड़ रहा है।
5. पाँचवाँ सोपान (योजना का कार्यान्वयन व प्रमाणों का संकलन):- क्रियात्मक अनुसंधान का पाँचवाँ सोपान है– निश्चित की गई योजना को कार्यान्वित करना और उसकी सफलता या असफलता के सम्बन्ध में प्रमाणों या तथ्यों का संकलन करना योजना से सम्बन्धित सभी व्यक्ति चौथे सोपान में निश्चित की गई विधियों की सहायता से तथ्यों का संग्रह करते हैं। वे समय समय पर एकत्र होकर इन तथ्यों के विषय में विचार विमर्श करते हैं। इसके आधार पर वे योजना के स्वरूप में परिवर्तन करते हैं।6. छठा सोपान (तथ्यों पर आधारित निष्कर्ष):- क्रियात्मक अनुसंधान का छठा सोपान है– योजना की समाप्ति के बाद संग्रह किए हुए तथ्यों या प्रमाणों से निष्कर्ष निकालना।
7. सातवाँ सोपान (दूसरे व्यक्तियों को परिणामों की सूचना):- क्रियात्मक-अनुसंधान का सातवाँ और अन्तिम सोपान है– दूसरे व्यक्तियों को योजना के परिणामों की सूचना देना।
क्रियात्मक अनुसंधान के लाभ (Benefits of Action Research)
- इससे शिक्षक अपनी कक्षा के वातारण में अपनी कार्यप्रणाली में सुधार तथा प्रगति करता है।
- शिक्षक शोध के पदों से परिचित होता है।
- शिक्षकों में वैज्ञानिक-प्रवृत्ति, शोध कार्य के लिए जाग्रत होती है।
- इसके द्वारा विद्यालय के प्रशासन में सुधार तथा परिवर्तन लाया जाता है।
- यह विद्यालय से संबंधित व्यक्तियों की विभिन्न दैनिक समस्यओं का व्यावहारिक एवं तथ्यपूर्ण समाधान करता है।
- यह विद्यालय को आधुनिक तथा समयानुकूल बनाने का प्रयास करता है।
- इसके द्वारा प्राप्त निष्कर्ष व्यवहारिक रूप से काफी सफल होते हैं।