SCERT के कार्य एवं उद्देश्य | Functions and Objectives of SCERT in hindi

राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् (SCERT)

SCERT का पूरा नाम State Council of Educational Research and Training है। यह राज्य सरकार की एक स्वायत्त संस्था है, जो की स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित है। जिसमे राज्य के स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करना, पुस्तकों की व्यवस्था करना। और शिक्षकों प्रशिक्षण देना आदि शामिल है। यह राज्य सरकार को स्कूल शिक्षा से संबंधित निति आदि मामलो पर सलाह देता है।

SCERT के कार्य एवं उद्देश्य

राज्य स्तर पर शिक्षा में अनुसन्धान को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा के अधिकारियों तथा शोधकर्त्ताओं को प्रशिक्षण देने हेतु एक नई व्यवस्था राज्य शैक्षिक अनुसन्धान तथा प्रशिक्षण परिषद् (SCERT) के रूप में की गई जो राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण संस्थान (NCERT) के अधीन कार्य करेगी। इस तरह की परिषद् भारत के प्रत्येक प्रदेश तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में विद्यालयी शिक्षा में गुणात्मक सुधार हेतु स्थापित की गई। यह संस्थान राजस्थान के उदयपुर में 1963 में स्थापित की गई जो शिक्षा के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन ख्याति प्राप्त करती जा रही है। 17 अक्टूबर, 1978 को इसे नवीन रूप प्रदान किया गया है। जिस प्रकार (NCERT) राष्ट्र स्तर पर शैक्षिक अनुसन्धान तथा प्रशिक्षण कार्य करती है। उसी तरह राज्य स्तर पर यह परिषद् महत्त्वपूर्ण शैक्षिक अनुसन्धान तथा प्रशिक्षण के कार्यक्रम आयोजित करती है। इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. प्रादेशिक शैक्षिक अनुसन्धान कार्य।
  2. विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रमों का निर्माण।
  3. सेवारत अध्यापकों के लिए प्रशिक्षण।
  4. शैक्षिक प्रसार सेवा कार्यक्रम आयोजित करना।
  5. विषय अध्यापक के लिए शिक्षण सामग्री का निर्माण करना।
  6. शिक्षण संस्थानों का मार्गदर्शन करना।
  7. राष्ट्रीय शिक्षक संस्थानों से समन्वय स्थापित करना।

सरकार ने 1 अप्रैल, 2010 में इसे कानून के रूप में लागू कर दिया है। इस अधिनियम के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं-

उपर्युक्त कार्यों के अतिरिक्त यह परिषद् नई शिक्षा नीति को राज्य में विद्यालय शिक्षा के गुणात्मक विकास हेतु राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएं क्रियान्वित करने हेतु विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित कर रही है। वर्तमान समय में ग्रामीण प्रतिभाशाली बालकों के लिए छात्रवृत्तियाँ, औपचारिक शिक्षा तथा महिलाओं की शिक्षा में सुधार तथा प्रसार के लिए यह परिषद् महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रही है। नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत प्रस्तावित विषय जैसे- राष्ट्रीय एकता, जनसंख्या शिक्षा, मूल्यों को शिक्षा कार्यानुभव शिक्षण सामग्री तथा विभिन्न विषयों के नवीनीकरण हेतु ग्रीष्मावकाश में दस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम विद्यालय के अध्यापकों के लिए आयोजित किए जाते हैं। यह संस्थान NCERT के शैक्षिक महत्व के विचार तथा अनुसन्धान को प्रदेश के सभी शैक्षिक संगठनों तथा विद्यालयों को पहुंचाता है तथा उन्हें इस सम्बन्ध में परामर्श भी देता है।

इस संस्थान को कार्य संचालन के लिए आठ भागों में बाँटा गया है—

1. मानविकी एवं समाज विज्ञान विभाग:- इस विभाग का कार्य विद्यालय के मानविकी एवं समाज विज्ञान विषयों से सम्बन्धित पाठ्यक्रम का निर्माण करना, सन्दर्भ साहित्य का निर्माण, पाठ्य पुस्तकें तैयार करना। मानविकी एवं समाज विज्ञान के अध्यापकों के लिए सेवारत प्रशिक्षण आदि कार्य करना।

2. शैक्षिक प्रशासन, परिवीक्षण व आयोजन विभाग:- इस विभाग का कार्य शिक्षा विभाग प्रशासनिक व परीविक्षण अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना है। शैक्षिक अनुसन्धान को गतिशील बनाने का कार्य करना।

3. विज्ञान व गणित विभाग:- विज्ञान व गणित विषय के पाठ्यक्रम तैयार करना, विज्ञान व गणित के शिक्षकों को सेवारत प्रशिक्षण प्रदान करना।

4. भाषा अध्ययन विभाग:- इस विभाग का कार्य विभिन्न भाषाओं का पाठ्यक्रम तैयार करना है। विभिन्न भाषाओं की पाठ्य पुस्तक व सन्दर्भ साहित्य तैयार करना है। भाषा अध्यापकों के लिए सेवारत प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

5. मनोविज्ञान विभाग:- यह विभाग पूर्व प्राथमिक शिक्षा, शिशु क्रीड़ा केन्द्र तथा विकलांग बालको की शिक्षा में सहायता करता है। शैक्षिक व व्यावसायिक निर्देशन का कार्य इसी विभाग द्वारा किया जाता है।

6. शिक्षक, शिक्षा व पत्राचार विभाग:- इस विभाग का कार्य सेवाकालीन प्रशिक्षण अनवरत शिक्षा एवं पत्राचार द्वारा शिक्षा की व्यवस्था करना है।

7. अनौपचारिक शिक्षा विभाग:- अनौपचारिक शिक्षा का पाठ्यक्रम, पाठ्य पुस्तके, सन्दर्भ साहित्य आदि इस विभाग द्वारा तैयार कराए जाते हैं।

8. शैक्षिक तकनीकी विभाग:- इस विभाग का कार्य शिक्षा तकनीकी से सम्बन्धित है। अध्यापिको को तकनीकों दृष्टि से प्रशिक्षित करना। श्रव्य-दृश्य सामग्री का निर्माण करना। रेडियो, टेलीविजन के लिए शैक्षिक सामग्री का निर्माण करना। स्कूलों के लिए फिल्मों का वितरण करना।

SCERT के उद्देश्य (Objectives of SCERT)

  1. शिक्षकों और अन्य कर्मियों के शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए।
  2. बच्चे के सर्वांगीण विकास, और शिक्षा के सभी स्तरों पर लक्ष्यित पाठ्यक्रम विकसित करना।
  3. शिक्षण-शिक्षण गतिविधियों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में उपयोग के लिए शैक्षिक प्रौद्योगिकी विकसित करना और दूरस्थ शिक्षा प्रदान करना।
  4. शिक्षा के गुणात्मक सुधार के लिए प्रणालियों और दृष्टिकोणों को तैयार करना।
  5. पुतली के मूल्यांकन और शैक्षणिक कार्यक्रमों और संस्थानों की वैज्ञानिक प्रक्रिया विकसित करना।
  6. एनसीईआरटी के साथ संबंध स्थापित करने के लिए, दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभाग, शिक्षा विभाग, दिल्ली प्रशासन और केंद्र सरकार और दिल्ली प्रशासन के अन्य शैक्षणिक संस्थान।
  7. पाठ्यक्रम सामग्री, पाठ्य पुस्तकों और अन्य संबंधित अनुदेशात्मक सामग्रियों को विकसित, अपनाना / अनुकूलित करना और विकसित करना।
  8. गैर-औपचारिक शिक्षा और कार्यात्मक साक्षरता के लिए शैक्षिक सामग्री का मार्गदर्शन, विकास और प्रदान करना।
  9. स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर शिक्षकों को पूर्व-सेवा और इन-सर्विस प्रशिक्षण प्रदान करना।

SCERT के कार्य (Functions of SCERT)

राष्ट्रीय स्तर पर विद्यालय शिक्षा के अनुसंधान, प्रशिक्षण, पाठयक्रम पाठयपुस्तकें, सहायक सामग्री आदि के विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की स्थापना सन् 1961 में की गई थी। इसके कार्यों को राज्यों में संचालित करने के लिए प्रत्येक राज्य में राज्य शिक्षा अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषदों की स्थापना की गई। इस परिषद के राज्य में अग्रलिखित कार्य हैं-

  1. शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शोध कार्यों को करना तथा उन शोध कार्यों में समन्वय स्थापित करना है।
  2. राज्य में अध्यापक शिक्षा के विकास का अवलोकन करना।
  3. विद्यालयी शिक्षा के विकास में एक एजेण्ट के रूप में कार्य करना।
  4. राज्य के माध्यमिक शिक्षा तथा प्रशिक्षण की क्रियाओं, डाईट (DIET) के कार्यों, अध्यापक शिक्षा संस्थाओं तथा उच्च शिक्षा संस्थान का पर्यवेक्षण करना है।
  5. विशिष्ट शिक्षा के लिए कार्यक्रमों को लागू करना और एन०सी०आर०टी० (NCERT) के शैक्षिक कार्यक्रमों को राज्य में लागू करना।
  6. पाठयक्रम के अनुसार विद्यालयों के लिए पाठय पुस्तकों को तैयार करना।
  7. विद्यालयी शिक्षा के लिए अनुदेशन सामग्री को बनाना।
  8. सेवारत शिक्षकों के लिए अभिविन्यास पाठयक्रमों की व्यवस्था करना और अध्यापक शिक्षा के कार्यक्रमों में समन्वय स्थापित करना।
  9. शिक्षकों के वृत्तिक विकास तथा अन्य शिक्षा अधिकारियों के विकास हेतु पत्राचार पाठ्यक्रम तथा सम्पर्क पाठयक्रमों की व्यवस्था करना।
  10. शिक्षा की विभिन्न समस्याओं के लिए शोध कार्यों को प्रोत्साहित करना।
  11. प्रौढ़ शिक्षा तथा अनौपचारिक शिक्षा के कार्यक्रमों का आलकन करना और राज्य सरकार को उनकी प्रगति के सम्बन्ध में अवगत कराना।
  12. राज्य में छात्रों को छात्रवृत्तियों वितरण हेतु परीक्षाओं की व्यवस्था करना जिससे प्रतिभाशाली छात्रों को छात्रवृत्ति प्राप्त हो सके।
  13. यह संस्था राज्य के शैक्षिक तकनीकी संस्थाओं का नियन्त्रण करती है।
  14. यह संस्था राज्य के जनसंख्या शिक्षा तथा पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्रमों की प्रगति का अवलोकन करती है।
  15. यह संस्था बालिकाओं की शिक्षा की प्रगति तथा समाज के कमजोर छात्रों हेतु शैक्षिक कार्यक्रमों की व्यवस्था की भी देख-भाल करती है।

SCERT की विशेषताएं (Features of SCERT)

  1. शैक्षिक विद्यालय और शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों तैयार करना।
  2. ऐसी सामग्री का निर्माण करना जो शिक्षक-प्रशिक्षकों के अनुदेशात्मक उपयोग के लिए हो।
  3. विभिन्न प्रकार के शिक्षकों, अधिकारी निरीक्षकों और शिक्षक शिक्षकों के लिए इन-सर्विस प्रशिक्षण तैयार करना और राज्य स्तर पर संचालित अन्य एजेंसियों के काम का समन्वय करना।
  4. शिक्षकों, शिक्षक और निरीक्षण अधिकारियों के व्यावसायिक विकास के लिए पाठ्यक्रम शामिल करने वाले पत्राचार-सह कार्यक्रमों को व्यवस्थित करना।
  5. शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों, माध्यमिक शिक्षा विद्यालयों और प्राथमिक प्रशिक्षण विद्यालयों के संचालन का पर्यवेक्षण करना।
  6. राज्य में सभी ज्ञात मात्रा में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के लिए एक विस्तार सेवा का निर्माण करना।
  7. प्रशिक्षण के विभिन्न विषयों पर अध्ययन और अनुसंधान करना।
  8. सरकार द्वारा अनिवार्य गैर-औपचारिक और वयस्क शिक्षा कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना।

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