शैक्षिक प्रशासन का अर्थ, प्रकृति, क्षेत्र एवं उद्देश्य | Nature, Scope Purpose and Meaning of Educational Administration in hindi
शैक्षिक प्रशासन का अर्थ (Meaning of Educational Administration)
शैक्षिक प्रशासन एक नवीन तत्व है, जिसका सम्बन्ध शिक्षा की योजना बनाना, शिक्षा की व्यवस्था व पर्यवेक्षण आदि कार्य करने से है। इसका प्रमुख उद्देश्य निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना है, विद्यालयों में उपयोगी उपकरणों को उपलब्ध कराना और कर्मचारियों में कार्यों का विभाजन करना है। इसका सम्बन्ध मुख्य रूप से शिक्षा से ही होता है। यह लोक प्रशासन का ही एक अंग है किन्तु यह अन्य प्रशासनों की तुलना में अधिक दायित्व वहन करता है।
शैक्षिक प्रशासन की परिभाषाएँ (Definitions of Educational Administration)
इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है-
1. मार्स और रॉस के अनुसार- “छात्रों के विकास को अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर करना एवं अध्यापकों की सहायता से समूहों के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उन्हें साधनों की ओर प्रेरित करना।”
2. वीश और रफनर के अनुसार-“शैक्षिक प्रशासन वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा शिक्षा के लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता हैं।”
शैक्षिक प्रशासन की प्रकृति (Nature of Educational Administration)
शैक्षिक प्रशासन को प्रकृति का वर्णन निम्न पंक्तियों में प्रयुक्त किया गया है-
- शैक्षिक प्रशासन की प्रकृति स्वच्छ एवं निष्पक्ष होती है।
- शैक्षिक प्रशासन का विकास प्रयोग एवं शोध कार्य पर अवलम्बित होने के कारण इसमें सुनिश्चितता एवं उपयोगिता अधिक पायी जाती है।
- सहानुभूति, सदभावना एवं सहयोग को शैक्षिक प्रशासन बढ़ावा देता है।
- मानव के स्वभाव विचारों एवं आदशों का शैक्षिक प्रशासन में सदैव सम्मान किया जाता है।
- शैक्षिक प्रशासन की प्रकृति केन्द्रीकरण एवं विकेन्द्रीयकरण दोनों प्रकार से होती है।
- शैक्षिक प्रशासन का ध्येय स्वतन्त्रता की भावना को अधिकाधिक आदर प्रदान करता है।
- उत्तर शैक्षिक प्रशासन अध्यापकों को निर्भीकता पर अधिक ध्यान देता है।
- शैक्षिक प्रशासन, शिक्षार्थियों के विश्वास को उचित निर्देशन के माध्यम से सही दिशा में प्रोत्साहित करता है।
- शैक्षिक प्रशासन के अन्तर्गत विस्तृत क्षेत्र को अपनाने एवं आवश्यक परिवर्तन की प्रक्रिया का स्वागत करने के कारण इसकी प्रकृति गत्यात्मक होती है।
- सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक गतिशीलता का शैक्षिक प्रशासन पर गहन प्रभाव पड़ता है।
शैक्षिक प्रशासन का क्षेत्र (Scope of Educational Administration)
शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र का संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार किया गया है-
1. शिक्षण प्रक्रियाओं की योजना का निर्माण करना:- शिक्षण प्रक्रिया को नवीन उपकरणों एवं उपागमों के माध्यम से अधिक से अधिक महत्वपूर्ण बनाया जा सकता है क्योंकि यह एक गत्यात्मक प्रक्रिया है। इस प्रकार शैक्षिक प्रशासन शिक्षण प्रक्रिया की योजना बनाता है।
2. मानवीय सम्बन्धों की स्थापना:- शैक्षिक प्रशासन शिक्षण संस्थाओं में मानवीय सम्बन्धों की स्थापना करता है। अतः शैक्षिक प्रशासक को सहिष्णु प्रशासक होना चाहिए क्योंकि शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत व्यक्तियों के मध्य प्रेम-भाव बढ़ाने में प्रशासक की सूझ-बूझ ही अत्यन्त सहायक होती है।
3. अध्यापकों की नियुक्ति एवं सेवा सुरक्षा:- विद्यालयों में विषयानुसार शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षकों के वेतन की व्यवस्था, उनके कल्याणार्थ आवास आदि की व्यवस्था करना भी शैक्षिक प्रशासन के अन्तर्गत आता है।
4. शिक्षण पद्धतियों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करना:- अध्यापकों को अधिकतम प्रभावशाली बनाने के लिए उन्हें नवीन एवं उपयोगी विषय-पद्धतियों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की जानी चाहिए।
5. शैक्षिक समस्याओं का समाधान करना:- शैक्षिक प्रशासन विभिन्न समस्याओं, जैसे- शिक्षकों द्वारा शिक्षण कार्य में रुचि न लेना एवं कर्मचारियों की कार्य के प्रति उदासीनता आदि का समाधान किया जाता है।
6. भौतिक तत्वों का संगठन:– शैक्षिक प्रशासन के अन्तर्गत विद्यालयों के संचालन के लिए धन की व्यवस्था करना एवं खेल के मैदान का निर्माण करना आदि आता है। अतः शैक्षिक प्रशासन को धन प्राप्त करने के स्रोतों का स्पष्टतः ज्ञान होना चाहिए।
शैक्षिक प्रशासन की विशेषताएँ (Characteristics of Educational Administration)
1. शिक्षा संस्थाओं की उपलब्धि संख्यात्मक न होकर गुणात्मक होती है। अत: इसका मूल्यांकन करना कठिन काम है।
2. शैक्षिक प्रशासन लाभ न कमाने वाला प्रतिष्ठान है। यह तो मुख्यतः लोक कल्याण या समाज सेवा के लिए है। कोई भी व्यापार हमेशा ही लाभ-हानि की चिन्ता करता है, जबकि शैक्षिक संस्था मनुष्य के व्यक्तिगत के विकास पर केन्द्रित होती है और इसका मूलभूत उद्देश्य जनकल्याण होता है।
3. शिक्षा के क्षेत्र में जो व्यक्ति प्रशासनिक स्तर पर है, वह उन लोगों पर प्रशासन करता है जो योग्यताओं में या तो उनके समकक्ष होते हैं या उनसे अधिक योग्य होते हैं। ऐसी स्थिति में उन पर प्रशासन करना थोड़ा कठिन होता है।
4. शिक्षा प्रशासन का प्रमुख उद्देश्य लोगों की भलाई करना है, लेकिन इस दिशा में इसकी सफलता अधिकांश लोगों के सहयोग पर निर्भर करती है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि छात्र, उनके अभिभावक एवं शिक्षकों के लिए मेल-जोल के दरवाजे सदैव खुले रखे जाएं, उन्हें मिलने-जुलने में सुगमता होनी चाहिए, क्योंकि शिक्षा जनकल्याण की संस्था है।
5. शिक्षा प्रशासन का घनिष्ठ रूप से सम्बन्ध मानवीय जीवन, समाज परिवर्तन तथा राष्ट्रीय विकास से होता है और इसी कारण कोठारी शिक्षा आयोग का यह कथन ध्यान देने योग्य है कि भारतवर्ष के भाग्य का निर्माण उसकी कक्षाओं में होता है। आज के वैज्ञानिक युग में शिक्षा हो लोगों की सुरक्षा, भलाई एवं खुशहाली को निश्चित करती है। हमारी राष्ट्रीय उन्नति हमारी संस्थाओं से निकलने वाले विशेष योग्य व्यक्तियों की संख्या तथा उनके स्तर पर निर्भर करती है और इस उन्नति का प्रमुख लक्ष्य लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाना है।
शैक्षिक प्रशासन के उद्देश्य (Objectives of Educational Administration)
शैक्षिक प्रशासन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- शिक्षा सम्बन्धी कार्यों का सम्पन्न करना तथा शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों की सहायता करना।
- समाज के सभी बालकों के समुचित विकास के लिए उपयुक्त पर्यावरण तैयार करना और आवश्यक सामग्री तथा साधन जुटाना।
- शिक्षा सम्बन्धी नीतियों तथा परियोजनाओं को बनाना व उन्हें क्रियान्वित करना ।
- शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर शैक्षिक कार्यक्रमों, क्रियाकलापों तथा गतिविधियों को भली-भाँति संचालित करना।
- शिक्षा विभाग से सम्बन्धित कर्मचारियों की नियुक्ति, सेवाशर्तों का निर्धारण तथा उनके प्रशिक्षण और प्रगति की व्यवस्था करना।
- शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के बीच तथा शिक्षा के कार्यक्रमों में समन्वय एवं समायोजन स्थापित करना।
शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता (Need for Educational Administration)
शैक्षिक प्रशासन शिक्षा के उच्च लक्ष्यों से सम्बन्धित होता है। प्रशासन का सर्वप्रमुख उद्देश्य है किसी संगठन या संस्था को सुचारू रूप से चलाना। संगठन अथवा संस्था को सुचारू रूप हेतु विभिन्न क्रियाओं में समन्वय स्थापित किया जाता है। इस सम्बन्ध में बुक एडम्स ने लिखा है कि-
"शैक्षिक प्रशासन में अनेक गुणों को एक सूत्र में बाँधने की क्षमता होती है। शैक्षिक प्रशासन प्रायः परस्पर विरोधियों एवं सामाजिक शक्तियों को एक ही प्राणी में इतनी चतुरता से जोड़ता है कि ये सब मिलकर एक इकाई के समान कार्य करते है।"
शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है-
1. चरित्र निर्माण में सहायक:- शैक्षिक प्रशासन बालकों के चरित्र निर्माण में सहायक है। देश के विकास के लिए यह आवश्यक है कि देशवासियों का चरित्र अच्छा बनाया जाये। शिक्षा संस्थानों का दायित्व है कि ये बालकों के चरित्र का निर्माण करे और भावी पीढ़ी राष्ट्र के विकास में सहायता करें। इस प्रकार का वातावरण बनाया जाये जिससे बालकों के चरित्र का विकास हो सकें। शिक्षण संस्थाओं में इस प्रकार का वातावरण तैयार करने में शैक्षिक प्रशासन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. शैक्षिक तत्वों में संतुलन:- शिक्षा मुख्यतः दो तत्वों से सम्बन्धित है- मानवीय तत्व तथा भौतिक तत्व। मानवीय तत्वों में शिक्षार्थी, शिक्षक, अभिभावक तथा शिक्षा विभाग के कर्मचारी सम्मिलित है। भौतिक तत्वों में विद्यालय भवन, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, धन एवं शिक्षा की अन्य सामग्रियों आती हैं। इन दोनों तत्वो में संतुलन बनाये रखने का कार्य शैक्षिक प्रशासन ही करता है।
3. मानवीय गुणों का विकास:- शैक्षिक प्रशासन मानवीय गुणों के विकास में सहायक होता है। यद्यपि शिक्षा का मुख्य बिन्दु छात्र है परन्तु छात्र के अलावा शिक्षा से सम्बन्धित अन्य युवकों एवं प्रौढ़ों के व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए भी शैक्षिक प्रशासन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
4. शिक्षा को समाज हेतु उपयोगी बनाना:- शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है। बालक का विकास समाज में रहकर ही होता है। शैक्षिक, प्रशासन सामाजिक आवश्यकताओं, आदशों एवं विशेषताओं के अनुरूप शिक्षा प्रक्रिया सम्पन्न करता है। सामाजिक आवश्यकताओं के अनुसार ही विद्यालय का संगठन किया जाता है। शैक्षिक प्रशासन तथा प्रक्रिया में सामाजिक क्रियाओं तथा अनुभवों को विशेष महत्व दिया जाता है।
5. शिक्षा प्रक्रिया का संचालन:- अन्य क्रियाओं के समान शैक्षिक प्रक्रिया के लिए भी एक सुनिश्चित व्यवस्था होनी चाहिए तभी शैक्षिक प्रक्रिया का संचालन ठीक प्रकार से किया जा सकता है। शिक्षा समाज के लिए तभी उपयोगी हो सकती है जब उसका क्रमबद्ध रूप में क्रियान्वयन किया जाये। शिक्षा की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना शिक्षा प्रशासन का महत्वपूर्ण कार्य है।
6. लोकतान्त्रिक विचारधारा का विकास:- वर्तमान में हमारा देश एक लोकतान्त्रिक देश है अतः हमारे शैक्षिक प्रशासन द्वारा विद्यालयों में ऐसा वातावरण तैयार किया जाता है जिससे बालकों में लोकतान्त्रिक भावना का विकास हो सके।
7. शिक्षा के विभिन्न अंगों में समन्वय:- शैक्षिक प्रशासन शिक्षा के सभी अंगो में समन्वय बनाता है। शैक्षिक प्रशासन शैक्षिक कार्यकर्ताओं के प्रयासों में समन्वय स्थापित करता है। वह शैक्षिक सामग्री का प्रयोग इस तरह करता है कि जिससे शिक्षा प्रक्रिया को सरल तथा स्पष्ट बनाया जा सके।
निष्कर्ष (Conclusion)
शैक्षिक प्रशासन कला और विज्ञान दोनों है क्योंकि इसमें कौशलों (Skill) के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण की भी आवश्यकता पड़ती है। जिससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया की गुणवत्ता में वृद्धि की जाती है। शैक्षिक प्रशासन सर्वाधिक उत्तरदायित्वो का निर्वहन करने वाला प्रशासन है। जो छात्रों के लिए सांस्कृतिक, सामाजिक, वैज्ञानिक,आर्थिक एवं धार्मिक सभी प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था करता हैं।