सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य, कार्य-योजना एवं महत्व (SSA) | Objectives, Work-Plan and Importance of Sarva Shiksha Abhiyan in hindi
सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan)
सर्व शिक्षा अभियान "सबके लिए शिक्षा" हेतु एक जन-आन्दोलन है जिसका उद्देश्य विद्यालय गतिविधियों में समुदाय को सक्रिय सहभागिता से सभी समुदायों एवं वर्गों को सन्तोषप्रद गुणवत्तापूर्ण, उपयोगी एवं प्रासंगिक शिक्षा उपलब्ध कराना है। इसका उद्देश्य 6 से 14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को उपयोगी तथा कोटिपरक शिक्षा प्रदान करना है तथा यह प्रारम्भिक शिक्षा को मिशन रूप में प्रदान करने सम्बन्धी जरूरत को पूरा करने का एक प्रयास है। इस कार्यक्रम में स्त्री-पुरुष असमानता तथा सामाजिक अन्तर को समाप्त करने की परिकल्पना भी की गई है।
अक्टूबर, 1998 में हुए राज्यों के शिक्षा मन्त्रियों के सम्मेलन की सिफारिशों के आधार पर समुदाय की सहभागिता से प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वजनीकरण के लिए 'सर्व शिक्षा अभियान' को नवम्बर, 2000 में मंजूरी दी गई। राजस्थान में यह योजना वर्ष 2001-2002 में प्रारम्भिक शिक्षा के सुदृढीकरण व सम्पूर्ण साक्षरता के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु भारत सरकार व राज्य सरकार की 85:15 की भागीदारी से शुरू की गई है। अब यह भागीदारी 65:35 कर दी गई है। इसकी नोडल एजेन्सी राजस्थान प्रारम्भिक शिक्षा परिषद् है।
इस कार्यक्रम में पूरा देश सम्मिलित है और इससे 11 लाख शहरों तथा नगरीय क्षेत्रों के 19.2 करोड़ बालक लाभान्वित हो रहे हैं। वर्तमान में 8.5 लाख प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय और 33 लाख शिक्षक भी इस कार्यक्रम की सीमा में आते हैं। कार्यक्रम के अन्तर्गत ऐसे क्षेत्रों में, जहां विद्यालयी सुविधाएँ नहीं है, वहाँ अतिरिक्त कक्षा-कक्षों, मूत्रालयों, पीने के पानी, रख-रखाव, अनुदान और विद्यालय सुधार अनुदान के जरिये बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा। अपर्याप्त संख्या में शिक्षकों वाले विद्यालयों को कार्यक्रम के अन्तर्गत अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध कराये जायेंगे। मौजूदा शिक्षकों की क्षमता को गहन प्रशिक्षण, शिक्षक-शिक्षण सामग्री के विकास के लिए अनुदान के प्रावधान और शैक्षणिक आधारभूत ढाँचे के विकास के माध्यम से उन्नत किया जाएगा।
सर्व शिक्षा अभियान में कमजोर वर्गों की छात्राओं और छात्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में भी कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है, जिससे डिजिटल दूरी को कम करने में मदद मिलेगी। 86 वें संविधान संशोधन द्वारा 6-14 आयु वर्ष वाले बच्चों के लिए, प्राथमिक शिक्षा को एक मौलिक अधिकार के रूप में, निःशुल्क और अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना अनिवार्य बना दिया गया है।
सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य (Objectives of Sarva Shiksha Abhiyan)
- 6-14 वर्ष की उम्र के सभी बालक सन् 2003 तक स्कूल शिक्षा गारण्टी योजना केन्द्र ब्रिज कोर्स में जाएं।
- वर्ष 2007 तक सभी बच्चों को पाँच वर्ष की प्राथमिक शिक्षा पूरी की जाए।
- वर्ष 2010 तक आठ वर्ष की स्कूली शिक्षा पूरी कर लें।
- जीवनोपयोगी शिक्षा पर बल देते हुए सन्तोषजनक गुणवत्तापूर्ण प्रारम्भिक शिक्षा पर बल दिया जाए।
- वर्ष 2007 तक प्रारम्भिक स्तर पर सभी लड़के-लड़कियों और सामाजिक वर्ग के अन्तरों को और प्रारम्भिक शिक्षा स्तर पर 2010 तक समाप्त करना।
- सन् 2010 तक बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों की संख्या शून्य करना।
- प्रारम्भिक शिक्षा स्तर पर समस्त लिंग एवं सामाजिक श्रेणियों के भेद समाप्त करना।
- सभी बच्चों के लिए वर्ष 2003 तक स्कूल शिक्षा गारण्टी केन्द्र, वैकल्पिक स्कूल, "बैक टू स्कूल" शिविर की उपलब्धता।
- साक्षरता पुस्तकालय, पोषण, खेल-कूद, महिला सबलीकरण जैसे कार्यक्रमों के द्वारा जन-समुदाय एवं विद्यालय में साझेदारी का विकास करना।
- जीवन कौशलों को बढ़ावा देकर शिक्षा को बच्चों के लिए प्रासंगिक बनाना।
सर्व शिक्षा अभियान का कार्यान्वयन (Implementation of Sarva Shiksha Abhiyan)
इस अभियान के तहत केन्द्र तथा राज्य सरकारें मिलकर स्थानीय सरकारों तथा समुदाय के सहयोग से सर्व शिक्षा अभियान का कार्यान्वयन करेंगी। सर्व शिक्षा अभियान के अध्यक्ष प्रधानमन्त्री तथा उपाध्यक्ष मानव संसाधन मन्त्री होंगे। इसी प्रकार राज्यों में भी इस अभियान के लिए मुख्यमन्त्री अध्यक्ष तथा शिक्षामन्त्री उपाध्यक्ष होंगे। केन्द्र व राज्य के मिलकर प्रयास करने से एक सूत्रता लाने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा राज्यों को प्रोत्साहित किया जाता है।
सर्व शिक्षा अभियान के घटक (Components of Sarva Shiksha Abhiyan)
- शिक्षकों की नियुक्ति,
- शिक्षक प्रशिक्षण,
- प्रारम्भिक शिक्षा गुणात्मक सुधार,
- अध्ययन अध्यापन सामग्रियों का प्रावधान,
- शैक्षिक सहायता के लिए ब्लॉक और पंचायत संसाधन केन्द्रों की स्थापना,
- कक्षाओं और स्कूल भवनों का निर्माण,
- शिक्षा गारण्टी केन्द्रों की स्थापना,
- विशेष योजनाओं की समेकित शिक्षा और दूरस्थ शिक्षा।
सर्व शिक्षा अभियान की अवधि (Duration of Sarva Shiksha Abhiyan)
सर्व शिक्षा अभियान 2002 में अटल बिहारी वाजपई जी के कार्यकाल में लाया गया था जिसका उद्देश्य देश को शिक्षित करना था। इसके तहत 6 से 14 साल के अशिक्षित बालक-बालिकाओं को स्कूल से जोड़कर शिक्षा का महत्व समझाना था जिससे देश आने वाले समय में प्रगति कर सके। सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम की अवधि 10 वर्ष तक निर्धारित की गई थी परंतु वर्तमान में इसकी अवधी बढ़ा दी गई है।
सर्व शिक्षा अभियान के लाभ (Benefits of Sarva Shiksha Abhiyan)
SSA योजना अपने साथ अनेक फायदे लेकर आयी हैं जिसके कारण भारत में शिक्षा का तेजी से प्रसार हुआ है और आज यह योजना अपने निर्धारित लक्ष्य के करीब हैं। इस योजना के फायदे निम्नलिखित हैं-
- इस योजना के तहत 6-14 वर्ष के बच्चो को मुफ्त शिक्षा दी जाती हैं और इसके लिए उनसे एक भी रूपया चार्ज नहीं किया जाता है।
- योजना के अन्तरगत फ्री किताब और अन्य पाठ्य सामग्री मुफ्त उपलब्ध करवाई जाती है।
- SSA के तहत न सिर्फ छात्रों को बल्कि शिक्षको के प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया गया हैं और उनको अंतराष्ट्रीय सेमिनारो में भेज कर प्रशिक्षण दिलवाया जाता है।
- sarva shiksha abhiyaan को MID DAY MEAL योजना से जोड़कर स्कूल में ही दोपहर में मुफ्त भोजन दिलवाया जाता है।
- इस योजना के तहत हर स्कूल में एक अच्छी लाइब्रेरी की व्यवस्था की गयी है, जिसके लिए विद्यालय अनुदान से 1000 रूपए दिया जाता है।
- सर्व शिक्षा अभियान को दूरस्थ शिक्षा से जोड़ा गया है, जिसके तहत कोई भी बच्चा बिना स्कूल गए घर पर रहकर भी शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
सर्व शिक्षा अभियान के लक्ष्य (Goals of Sarva Shiksha Abhiyan)
इस अभियान के निम्नलिखित उद्देश्य बताए गए हैं-
- वर्ष 2003 तक सभी बच्चों के लिए स्कूल शिक्षा गारण्टी केन्द्र, वैकल्पिक स्कूल तथा 'बैक द स्कूल' शिविर की उपलब्धता।
- वर्ष 2007 तक सभी बच्चे पाँच वर्ष की प्राथमिक शिक्षा पूरी कर लें।
- वर्ष 2010 तक सभी बच्चे आठ वर्ष की स्कूली शिक्षा पूरी कर लें।
- वर्ष 2010 तक सभी बच्चों को विद्यालयों में बनाए रखना।
- सामाजिक न्याय व समानता के संवैधानिक लक्ष्य को प्राप्त करना।
- जीवनोपयोगी एवं गुणात्मक प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना।
सर्वशिक्षा अभियान की विशेषताएँ (Features of Sarva Shiksha Abhiyan)
प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के प्रशिक्षित उद्देश्य के लिए यह ऐतिहासिक पहल है। यह कार्यक्रम राज्यों के सहयोग से चलाया जाएगा, जिसके अन्तर्गत देश के प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए वर्ष 2010 तक 6-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को उपयोगी एवं स्तरीय शिक्षा उपलब्ध कराना शामिल है। इस कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
- बालिकाओं पर विशेषत: अनुसूचित जाति/जनजाति और अल्पसंख्यक वर्ग की बालिकाओं पर ध्यान देना।
- बालिकाओं के लिए निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें।
- विद्यालय छोड़कर जा चुकी बालिकाओं को वापस लाने हेतु अभियान चलाना।
- बालिकाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण और तैयारी कक्षाओं का आयोजन और सीखने के लिए सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाना।
- शिक्षा के समान अवसर को बढ़ावा देने हेतु शिक्षक जागरूकता कार्यक्रम।
- बालिका शिक्षा से सम्बन्धित प्रयोगात्मक परियोजनाओं पर विशेष ध्यान।
- 50 प्रतिशत महिला शिक्षकों की नियुक्ति।
सर्व शिक्षा अभियान की प्रमुख कार्यनीतियाँ (Major Strategies of Sarva Shiksha Abhiyan)
सर्व शिक्षा अभियान की मुख्य कार्यनीतियाँ निम्नलिखित हैं-
1. संस्थागत सुधार:- सर्व शिक्षा अभियान के भाग के रूप में केन्द्र एवं राज्य सरकार प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने की क्षमता को सुधारने के लिए प्रयास करेंगी।
2. निरन्तर वित्तीय पोषण:- इस कार्यक्रम के लिए निरन्तर वित्त पोषण आवश्यक है। इसके लिए केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय सहभागिता अपेक्षित है।
3. सामुदायिक स्वामित्व:- सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम के लिए विकेन्द्रीकरण के माध्यम से सामुदायिक स्वामित्व आवश्यक है। महिला समूह, ग्राम शिक्षा समिति के सदस्यों व पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों को शामिल करके इस कार्यक्रम को बढ़ाया जाएगा।
4. शैक्षिक प्रशासन की मुख्य धारा में सुधार:– प्रभावशाली विधियाँ अपना कर शैक्षिक प्रशासन की मुख्य धारा में सुधार पर ध्यान देने की बात कही गई है।
5. अध्यापकों की भूमिका:– यह अभियान अध्यापकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए इस बात पर बल देता है कि उनकी विकास सम्बन्धी आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाए।
6. गुणवत्ता पर जोर:- सर्व शिक्षा अभियान पाठ्यक्रम में सुधार लाकर और बाल केन्द्रित विधियों को अपना कर प्राथमिक स्तर तक की शिक्षा को प्रासंगिक व उपयोग बनाने पर जोर देता है।
7. परियोजना पूर्व चरण:- इस अभियान द्वारा सम्पूर्ण देश में योजनाबद्ध तरीके से परियोजना पूर्व चरण शुरू किया जाएगा। इसके अन्तर्गत वितरण एवं मॉनीटरिंग पद्धति को सुधार कर क्षमता विकास से अनेक चरण चलाए जाएंगे।
8. विशिष्ट समूहों पर ध्यान:- इस अभियान द्वारा शिक्षा के प्रचार-प्रसार में विशेष समूहों के बच्चों की शैक्षिक सहभागिता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
9. पूर्ण पारदर्शितायुक्त सामुदायिक मॉनीटरिंग।
10. समुदाय के प्रति जवाबदेही।
11. बालिका शिक्षा।
सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत संचालित महत्त्वपूर्ण गतिविधियाँ (Important activities conducted under Sarva Shiksha Abhiyan)
1. प्रारम्भिक स्तर पर बालिका शिक्षा हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPEGEL):- सर्व शिक्षा अभियान के तहत यह कार्यक्रम राज्य के शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े खण्डों में संचालित किया जा रहा है। इसके तहत कक्षा 3 से 8 तक की कमजोर छात्राओं के लिए उपचारात्मक शिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है।
2. बेल पुस्तकों का वितरण:- दृष्टिविहीन बालकों को 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विज्युवल हैण्डीकैप' के माध्यम से ब्रेल पुस्तकों का वितरण कराया जाता है।
3. लिंग्वा लैब (भाषा प्रयोगशाला):- राज्य में शिक्षकों में अंग्रेजी भाषा के प्रति लगाव और उनके अंग्रेजी के उच्चारण को सही करने के उद्देश्य से राज्य के 30 जिलों में लिग्वालैब स्थापित किए गए हैं।
4. कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय (KGBVY):- वर्ष 2004 से शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े 186 विकास खण्डों में पहली से 12वीं कक्षा तक की बालिकाओं हेतु निःशुल्क आवास, भोजन एवं शिक्षण की व्यवस्था की जा रही है।
5. लहर कार्यक्रम:- 6-14 आयु वर्ग के बच्चों के नामांकन व ठहराव को सुनिश्चित करने एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की दृष्टि से कक्षा 1 व 2 के लिए राज्य के 10583 विद्यालयों में यह कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।
6. वैकल्पिक शिक्षा कार्यक्रम:- इसके अन्तर्गत 6 से 14 आयु वर्ग के बालक-बालिकाओं एवं शिक्षा छोड़ चुके बच्चों के लिए शिक्षण व्यवस्था की जाती है।
7. कल्प (CALP):- वर्ष 2001-2005 में उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 6 से 8 तक के बालकों को कम्प्यूटर के माध्यम से शिक्षा देने के लिए कम्प्यूटर एडेड लर्निंग प्रोग्राम 'अजीम प्रेमजी फाउंडेशन' के सहयोग से चलाया जा रहा है।
8. लोक जुम्बिश परियोजना:- जून, 1992 में राजस्थान में स्वीडन की (SIDA) के सहयोग से 'सभी के लिए शिक्षा (Education for All) प्राप्त करने के लिए प्रारम्भ की गई। यह योजना बाद में इंग्लैण्ड के डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डवलपमेंट के सहयोग से चली जिसकी अवधि 30 जून, 2004 को समाप्त हो गई। अब इस परियोजना का विलय सर्व शिक्षा अभियान में कर दिया गया है।
SSA के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य (Some Important Facts About the SSA)
SSA के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य नीचे दी गई सूची में उल्लिखित हैं-
- SSA को 'सभी के लिए शिक्षा' आंदोलन कहा जाता है।
- SSA कार्यक्रम के अग्रदूत भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।
- केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में इस पहल को लागू कर रही है।
- SSA का प्रारंभिक उद्देश्य 2010 तक अपने उद्देश्यों को पूरा करना था, हालांकि, समय सीमा बढ़ा दी गई है।
- SSA का लक्ष्य 1.1 मिलियन बस्तियों में लगभग 193 मिलियन बच्चों को शैक्षिक अवसंरचना प्रदान करना है।
- भारतीय संविधान के 86वें संशोधन अधिनियम ने एसएसए को कानूनी समर्थन प्रदान किया जब इसने 6-14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा मुफ्त और अनिवार्य कर दी।
- नई शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य लगभग दो करोड़ स्कूली बच्चों को मुख्यधारा में लाना है।
- 2019 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में, यह उल्लेख किया गया था कि 2015 में स्कूली उम्र (6 से 18 वर्ष के बीच) के अनुमानित 6.2 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर थे।
- पढ़े भारत बढ़े भारत सर्व शिक्षा अभियान का एक उप-कार्यक्रम है।
- 'शगुन' नाम से एक सरकारी पोर्टल है जिसे एसएसए कार्यक्रम की निगरानी के लिए लॉन्च किया गया है। विश्व बैंक ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से इसे विकसित किया है।