स्मृति का अर्थ, परिभाषा, अवस्थायें एवं प्रभावित करने वाले कारक | Memory In Psychology in hindi
स्मृति का अर्थ (Meaning of Memory)
स्मृति एक मानसिक प्रक्रिया है जो प्रत्येक प्राणी में किसी न किसी मात्रा में अवश्य पाई जाती है। वस्तुतः जब व्यक्ति किसी वस्तु, पदार्थ अथवा स्थान को देखता है तो उस वस्तु, पदार्थ अथवा स्थान की प्रतिमा अथवा चिन्ह (Engrams) उसके मस्तिष्क में बन जाते हैं। इन्हीं संचित चिन्हों अथवा पूर्व समय में सीखी हुई बातों को याद करना ही स्मृति कहलाती है।
स्मृति की परिभाषा (Definition of Memory)
(i). मैग्डूगल के अनुसार,"स्मृति का तात्पर्य भूतकालीन घटनाओं के अनुभव की कल्पना करना है एवं पहचान लेना है कि वे अपने ही भूतकालीन अनुभव हैं।"
(ii). स्टाउट के अनुसार,"स्मृति एक आदर्श पुनरावृत्ति है जिसमें अतीत काल के अनुभव उसी क्रम तथा ढंग से जाग्रत होते हैं जैसे वे पहले हुये थे।"
(iii). वुडवर्थ के अनुसार,"सीखे हुये अनुभवों के सीधे उपयोग को स्मृति कहते हैं।"
स्मृति की अवस्थायें (Phases of Memory)
(i) अधिगम (Learning):— स्मृति केवल अधिगम अथवा अनुभवों के अंकित होने पर आधारित होती है। अतः स्मृति की पहली अवस्था किसी वस्तु अथवा तथ्य के सीखने की है। सीखने का कार्य चेतन मन करता है। इसी अवस्था में जीवन के अनुभव मानसिक संस्कारों के रूप में हमारे मस्तिष्क में अंकित हो जाते हैं और आवश्यकता पड़ने पर पुनर: वर्तमान चेतना में आ जाते हैं।
(ii) धारण (Retention):— सीखी हुई पाठ्यवस्तु अथवा संस्कारों को मस्तिष्क में स्थाई रूप से बनाये रखना धारण कहलाता है। स्मरण रहे कि धारण करने की शक्ति प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग मात्रा में पाई जाती है। जो व्यक्ति किसी बात को जितने अधिक समय तक अपने मस्तिष्क में धारण करता है उसकी स्मृति उतनी ही अच्छी कहलाती है। विद्यार्थियों अर्थात् किशोर तथा किशोरियों को धारण शक्ति प्रौढ़ व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक होती हैं।
(iii) प्रत्यास्मरण (Recall):- सौखे हुये अनुभवों को चेतना में लाना प्रत्यास्मरण कहलाता है। व्यक्ति की स्मृति का अच्छा अथवा बुरा होना उसके भूतकालीन अनुभवों को पुनः स्मरण करने पर ही निर्भर करता है। उसने कितना अच्छा ही क्यों न सीखा हो व्यर्थ है यदि आवश्यकता पड़ने पर उसे कुछ भी याद नहीं आता। स्मरण रहे कि जिन बातों को व्यक्ति उचित विधि से धारण नहीं करता उन बातों का प्रत्यास्मरण करते समय उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
(iv) पहचान (Recognition):— किसी वस्तु अथवा व्यक्ति को देखकर यह बता देना कि हमने उसे पहले भी कभी देखा है पहचान कहलाता है। दूसरे शब्दों में पहचान वह मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम किसी वस्तु अथवा व्यक्ति के सम्पर्क में आकर यह बता देते हैं कि क्या वस्तु है अथवा कौन व्यक्ति है तथा उससे हमारा परिचय कब हुआ। स्मरण रहे कि पहचान और प्रत्यास्मरण का वही सम्बन्ध है जो मस्तिष्क का शरीर से है।
स्मृति का वर्गीकरण (Classification of Memory)
किसी बात को याद करने की योग्यता प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होती है। कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो किसी बात को एक बार याद करने के पश्चात् कभी नहीं भूलते। इसके विपरीत कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते हैं जो एक बात को बार-बार याद करने के पश्चात् भी उस बात को हर बार भूल जाते हैं। व्यक्तियों की इन भिन्न-भिन्न योग्यताओं के आधार पर स्मृति का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जाता है। दूसरे शब्दों में स्मृति अग्र प्रकार की होती है-
(i) तात्कालिक स्मृति (Immediate Memory):- तात्कालिक स्मृति उस स्मृति को कहते हैं जिसमें व्यक्ति किसी बात को सीखते ही तुरन्त सुना देता है। इस प्रकार की स्मृति की दो विशेषताये हैं—(i) यह अस्थाई होती है। हो सकता है कि सीखी हुई बात अधिक दिन तक याद न रहे तथा (ii) इसका विकास आयु के साथ-साथ होता है। शैशव अवस्था में घीमी गति से प्रारम्भ होकर बाल्यावस्था में कुछ अधिक गति से विकसित होता हुआ विद्यार्थी किशोर अवस्था तक अपनी अधिकतम सीमा को प्राप्त कर लेता है।
(ii) स्थाई स्मृति ( Permanent Memory):- सीखी हुई बात को अधिक समय तक प्रत्यास्मरण (Recall) कर सकना स्थाई स्मृति कहलजाती है। दूसरे शब्दों में जिन बातों से हमारा सहचर्य दृढ़ हो जाता है वे बातें हमें बहुत दिन तक याद रहती हैं।
(iii) व्यक्तिगत स्मृति ( Personal Memory):- भूतकालीन अनुभवों का प्रत्यास्मरण करते समय हमें उनसे सम्बन्धित अपने निजी अर्थात् व्यक्तिगत अनुभवों की याद आ जाने को व्यक्तिगत स्मृति कहते हैं। शिक्षा प्राप्त करते समय अनेक विद्यार्थी के अपने स्कूल शिक्षकों तथा साथियों के विषय में अलग-अलग अनुभव होते है। आगे चलकर जब हमको इनमें से किसी एक बात की याद आती है तो उससे सम्बन्धित अपने निजी अनुभव भी याद आ जाते हैं।
(iv) अव्यक्तिगत स्मृति (Impersonal Memory):- पुस्तकों एवं साथियों से सीखी हुई बातों की याद आना अव्यक्तिगत स्मृति कहलाती है। इसमें अपने निजी अर्थात् व्यक्तिगत अनुभवों का कोई स्थान नहीं होता है।
(v) सक्रिय स्मृति (Active Memory):- सक्रिय स्मृति में अपने भूतकालीन अनुभवों का प्रत्यास्मरण (Recall) करते समय कुछ प्रयास करने की आवश्यकता महसूस होती है। उदाहरण के लिये परीक्षा भवन में बैठे हुये परीक्षार्थी को प्रश्न का उत्तर देने के लिये याद की हुई बातों का प्रत्यास्मरण करने में बार-बार प्रयास करना पड़ता है।
(vi) निष्क्रिय स्मृति (Passive Memory):- निष्क्रिय स्मृति में हम को अपने भूतकालीन अनुभवों को याद बिना किसी प्रयास के स्वयं ही आ जाती है।
(vii) यांत्रिक स्मृति (Mechanical Memory):- पांत्रिक स्मृति को आदतजन्य तथा शारीरिक स्मृति को संज्ञा भी दी जाती है। जब शरीर को किसी कार्य के बार-बार करने की आदत पड़ जाती है तो व्यक्ति को उस कार्य के प्रत्यास्मरण करने के लिये विशेष प्रयास की आवश्यकता नहीं पड़ती। उदाहरण के लिये एक तैरने वाला बिना स्मरण किये ही हाथों और पैरों को इस प्रकार से चलाकर तैरता रहता है जिस प्रकार उसने पहले चलाना सीख लिया था।
(viii) रटन्त स्मृति (Rote Memory):- रटन्तस्मृति उस स्मृति को कहते हैं जिसमें तथ्यों को बिना सोचे समझे रट लिया जाता है। इस प्रकार की स्मृति बाल्यावस्था में बड़ी तीव्र होता है। यही कारण है कि इस अवस्था में गिनती, पहाड़े आदि बड़ी जल्दी रट जाते हैं। वैसे इन स्मृति को अच्छा नहीं समझा जाता है। (ix) तार्किक स्मृति (Logical Memory) किसी बात को वृद्धि के प्रयोग द्वारा सोच समझ कर सीखना तथा उसको आवश्यकता पड़ने पर प्रत्यास्मरण करना तार्किक स्मृति कहलाती है। वर्गसन (Burgson) ने इस प्रकार की स्मृति को वास्तविक स्मृति (True Memory) की संज्ञा दी है।
अच्छी स्मृति की विशेषतायें (Characteristics of Good Memory)
अच्छी स्मृति की विशेषताये अग्रलिखित हैं-
(i). शीघ्र अधिगम (Repidity in Learning):- अच्छी स्मृति की प्रथम विशेषता यह है कि कोई भी तथ्य सरलतापूर्वक तथा शोघ्रता से याद हो जाये। अतः केवल उन विद्यार्थियों की स्मृति को अच्छा कहा जायेगा जो किसी तथ्य को शीघ्र से शीघ्र सीख जाते हैं। इसके विपरीत देर में सीखने वाले विद्यार्थियों की स्मृति को अच्छा नहीं माना जा सकता।
(ii). धारण का स्थायित्व (Stability of Retention):- अच्छी स्मृति को दूसरी विशेषता सोखी हुई बातों को दूर तक धारण करना है। जिन विद्यार्थियों को सौखो हुई बाते अधिक देर तक याद रहती है उनको स्मृति अच्छी कही जाती है। इसके विपरीत ऐसे विद्यार्थियों की स्मृति को अच्छा नहीं कहा जा सकता जो किसी बात को याद तो जल्दी कर लेते हो परन्तु उसे मस्तिष्क में अधिक देर तक धारण करने में असमर्थ हो।
(iii). प्रत्यास्मरण में शीघ्रता (Rapidity in Recall):- जल्दी सीखने और अधिक देर तक सोखी हुई बातो को मस्तिष्क में धारण करने के अतिरिक्त अच्छी स्मृति की तीसरी विशेषता प्रत्यास्मरण में शीघ्रता का होना है। जो विद्यार्थी किसी बात को याद करके उसे प्रत्यास्मरण करते समय अपनी चेतना में उसे आसानी से और शीघ्रता से ज्यों का त्यों ले आते हो, जैसा कि उन्होंने सोखा था, अच्छी स्मृति वाले विद्यार्थी माने जाते हैं।
(iv). उपयोगिता (Serviceableness):— अच्छी स्मृति की चौथी विशेषता अवसर आने पर उपयोगी सिद्ध होता है। कुछ विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जिन्हें बहुत कुछ याद होता है परन्तु अवसर पड़ने पर उन्हें अप्रासंगिक सामग्री याद आती रहती है। इसके विपरीत ऐसे विद्यार्थियों की संख्या भी कम नहीं है जो सदैव आवश्यकतानुसार उचित सामग्री को ही चेतना में लाते हैं। केवल उन विद्यार्थियों की स्मृति अच्छी मानी जाती है जिन्हें अवसर के अनुसार उचित सामग्री याद आ जाती है अथवा जो आवश्यकतानुसार अनुभवों तथा प्रतिमाओं को तुरन्त पहचान लेते हैं।
(v). व्यर्थ की बातों को भूलना (Forgetting frrelevant Things):- अच्छी स्मृति होने के लिये व्यर्थ की बातो को भूलना परम आवश्यक है। परीक्षा देते समय व्यर्थ की बातों के बाद आने से परीक्षार्थियों को कोई लाभ नहीं होता। ठीक इसी प्रकार से जीवन संग्राम की दुखद घटनाओं के याद रखने से क्या लाभ हो सकता है।
(vi). स्मृति स्तर का शिक्षण (Memory Level of Teaching):- हमने उपर्युक्त् पंक्तियों में स्मृति का अर्थ, उससकी विभिन्न अवस्थाओं, प्रकारों तथा विशेषताओं पर प्रकाश डाला जिससे विद्यार्थी शिक्षकों को स्मृति के सम्बन्ध में आवश्यक ज्ञान प्राप्त हो जाये।
स्मृति को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Memory)
मेमोरी जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है, एक प्रक्रिया है जिसमें सीखना, प्रतिधारण और याद रखना शामिल है। ऐसे में अच्छी याददाश्त के लिए तीनों प्रक्रियाएं महत्वपूर्ण हैं। मनुष्य में स्मृति प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक इस प्रकार हैं:
1. धारण की क्षमता:- यह पिछले अनुभवों द्वारा मस्तिष्क में छोड़े गए अच्छे स्मृति निशान पर निर्भर करता है।
2. अच्छा स्वास्थ्य:- अच्छा स्वास्थ्य वाला व्यक्ति खराब स्वास्थ्य वाले व्यक्ति की तुलना में सीखी गई सामग्री को बेहतर तरीके से रख सकता है।
3. सीखने वाले की उम्र:- युवा बड़ों से बेहतर याद कर सकते हैं।
4. परिपक्वता:- बहुत छोटे बच्चे जटिल सामग्री को बनाए नहीं रख सकते और याद नहीं रख सकते।
5. याद रखने की इच्छा:- याद रखने की इच्छा बेहतर अवधारण के लिए मदद करती है।
6. बुद्धि:- अधिक बुद्धिमान व्यक्ति की स्मरण शक्ति मंदबुद्धि से अधिक होती है।
7. रुचि:- यदि किसी व्यक्ति की रुचि अधिक होगी तो वह सीखेगा और बेहतर बनाए रखेगा।
8. नींद या आराम:- सीखने के तुरंत बाद सोना या आराम करना मस्तिष्क में कनेक्शन को मजबूत करता है और स्पष्ट स्मृति के लिए मदद करता है।
भूलने के कारण (Causes of Forgetting)
1. नींद की कमी:- पर्याप्त नींद न लेना शायद भूलने की बीमारी का सबसे बड़ा कारण है। बहुत कम आराम की नींद भी मूड में बदलाव और चिंता का कारण बन सकती है, जो बदले में स्मृति के साथ समस्याओं में योगदान करती है।
2. दवाएं:- ट्रैंक्विलाइज़र, एंटीडिप्रेसेंट, कुछ रक्तचाप की दवाएं और अन्य दवाएं आमतौर पर बेहोश करने की क्रिया या भ्रम पैदा करके याददाश्त को प्रभावित कर सकती हैं। इससे नई चीजों पर पूरा ध्यान देना मुश्किल हो सकता है। अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से बात करें यदि आपको संदेह है कि कोई नई दवा आपकी याददाश्त से किनारा कर रही है।
3. अंडरएक्टिव थायरॉइड:- लड़खड़ाता थायरॉइड याददाश्त को प्रभावित कर सकता है (साथ ही नींद में खलल डाल सकता है और डिप्रेशन का कारण बन सकता है, ये दोनों ही भूलने की बीमारी का कारण हो सकते हैं)। एक साधारण रक्त परीक्षण बता सकता है कि आपका थायरॉयड अपना काम ठीक से कर रहा है या नहीं।
4. शराब:- शराब का प्रभाव समाप्त हो जाने के बाद भी बहुत अधिक शराब पीने से अल्पकालिक स्मृति में बाधा उत्पन्न हो सकती है। यद्यपि "बहुत अधिक" एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होता है, पुरुषों के लिए प्रति दिन दो से अधिक पेय और महिलाओं के लिए एक दिन से अधिक नहीं की सिफारिश के साथ रहना सबसे अच्छा है। एक पेय को आम तौर पर 80-प्रूफ स्पिरिट के 1.5 औंस (1 शॉट ग्लास), वाइन के 5 औंस या बीयर के 12 औंस के रूप में परिभाषित किया जाता है।
5. तनाव और चिंता:- कोई भी चीज जो ध्यान केंद्रित करने और नई जानकारी और कौशल को लॉक करने में कठिन बनाती है, वह स्मृति समस्याओं का कारण बन सकती है। तनाव और चिंता बिल भरते हैं। दोनों ध्यान में हस्तक्षेप कर सकते हैं और नई यादों के निर्माण या पुरानी यादों की पुनर्प्राप्ति को रोक सकते हैं।
6. डिप्रेशन:- डिप्रेशन के सामान्य लक्षणों में एक दमदार उदासी, ड्राइव की कमी और उन चीजों में आनंद की कमी शामिल है जिनका आप आमतौर पर आनंद लेते हैं। विस्मरण भी अवसाद का संकेत हो सकता है या इसका परिणाम।