कंप्यूटर प्रबंधन निर्देश का अर्थ | Computer Management Instruction (CMI) in hindi

कम्प्यूटर प्रबन्धीय अनुदेशन (Computer Management Instruction)

कम्प्यूटर प्रबन्धीय अनुदेशन में सूचनाओं का संग्रह किया जाता है और उनके द्वारा व्यक्तिगत सीखने के अनुभवों को अनुदेशित किया जाता है। इसमें छात्र विभिन्न बिन्दुओं से गुजरता है तथा पूरी शैक्षिक प्रक्रिया में विभिन्न पदों से होकर जाना पड़ता है तथा अपनी व्यक्तिगत योग्यता के द्वारा ही क्षमता का प्रदर्शन होता है। कम्प्यूटर प्रबन्धीय अनुदेशन में छात्रों से सीधा अन्तः प्रक्रिया से सम्बन्ध रखा जाता है तथा पाठ को प्रस्तुत किया जाता है।

Computer Management Instruction

कम्प्यूटर प्रवन्धीय अनुदेशन में सभी विद्यार्थियों को एक साथ कक्षा में बैठा दिया जाता है। प्रत्येक छात्र के समक्ष कम्प्यूटर का हेडफोन, टेप रिकॉर्डर तथा की बोर्ड रखे जाते हैं। पाठ्यवस्तु के छोटे-छोटे अशो को अभिक्रम रूप में कम्प्यूटर में भर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को फीड-अप कहते हैं। यह फीड-अप सामग्री दूरदर्शन के पर्दे पर छात्रों के सम्मुख आ जाती है। छात्रगण उन्हें पढ़कर समझने का प्रयास करते हैं। इसके पश्चात् हेडफोन, टेप या पर्दे की सहायता से छात्रों से प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रश्नों के उत्तर 'हाँ' या 'नहीं' अथवा छोटे-छोटे वाक्यों में दिए जा सकते हैं। छात्रों के किसी प्रश्न के उत्तर की बोर्ड पर अंकित हो जाते हैं।

इस प्रकार अंकन के पश्चात् यदि हरी बत्ती दिखाई पड़ती है तो ठीक उत्तर का संकेत मिलता है। गलत उत्तर होने पर लाल बत्ती दिखाई पड़ती है। गलत उत्तर होने पर सम्बन्धित बटन दबाने पर सही उत्तर प्राप्त किया जा सकता है। पल्स (+) बटन दबाने से सीखने की गति तीव्र की जा सकती है और माइनस (-) बटन दबाने से सीखने की गति धीमी की जा सकती है। कम्प्यूटर छात्रों के सीखने की सफलता का अभिलेख भी रखता है। इस प्रकार विभिन्न छात्रों को सीखने की गति में तुलना की जा सकती है।

इस प्रणाली में छात्र बिन्दुओं से गुजरता है तथा पूरी शैक्षिक प्रक्रिया में विभिन्न पदों से होकर जाना पड़ता है तथा अपनी व्यक्तिगत योग्यता के द्वारा ही क्षमता का प्रदर्शन होता है।

कम्प्यूटर प्रबन्धीय अनुदेशन का महत्त्व

कम्प्यूटर प्रबन्धीय अनुदेशन का महत्त्व निम्नलिखित है-

  1. कम्प्यूटर के द्वारा छात्र अपनी गति से सीख सकता है।
  2. इस प्रणाली में छात्रों को सोधा अनुदेशन दिया जाता है और उनको पारस्परिक क्रिया के लिए अनुमति प्रदान की जाती है।
  3. छात्र द्वारा पाठ्यवस्तु को जब तक अच्छी तरह से सीख नहीं लिया जाता तब तक कम्प्यूटर द्वारा दोहराया जा सकता है।
  4. कम्प्यूटर द्वारा अध्यापक के सहारे प्रत्येक छात्र को पाठ्यवस्तु को समझने सम्बन्धी कठिनाई पर ध्यान दिया जा सकता है।
  5. कम्प्यूटर प्रबन्धीय अनुदेशन के द्वारा छात्रों से सीधा अन्तः प्रक्रिया से सम्बन्ध रखा जाता है तथा पाठ को प्रस्तुत किया जाता है।
  6. कम्प्यूटर प्रबन्धीय अनुदेशन में सूचनाओं का संग्रह किया जाता है और उनके द्वारा व्यक्तिगत सोखने के अनुभवों को अनुदेशित किया जाता है।
  7. कम्प्यूटर द्वारा छात्र को अपने कार्य की सफलता या असफलता का ज्ञान हो जाता है।
  8. कम्प्यूटर का उपयोग प्राथमिक स्तर से विश्वविद्यालय स्तर के छात्रों के लिए किया जा सकता है।

Read also