आई.सी.टी. की अवधारणा, अर्थ और कार्य | Concept, Meaning and Functions of ICT in hindi

सूचना तकनीक : एक परिचय (Information Technology : An Introduction)

सूचना, विश्व की धुरी है। सम्पूर्ण विश्व सूचनाओं के इर्द-गिर्द ही मंडरा रहा है। सत्य एवं प्रामाणिक सूचनाएँ ही किसी भी निजी प्रतिष्ठान अथवा सरकारी कार्यालय का आधार हैं। सूचनाओं का अपना एक विस्तृत क्षेत्र है। सूचनाओं की कोई सीमा नहीं है और इसके प्रकार भी असीम हैं। इन विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को प्राप्त करने और प्रेषित करने के लिये उपयोग में लायी जाने वाली तकनीक को ही सूचना तकनीक कहा जा सकता है। हमारे दैनिक जीवन में भी सूचना का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिये नित नये प्रयोग एवं प्रयत्न हो रहे हैं।

Concept, Meaning and Functions of ICT

सूचना तकनीकी की परिभाषा (Definitions of Information Technology)

पारिभाषिक शब्दों में कहा जा सकता है कि "सूचना के संचार के लिये प्रयोग की जाने वाली तकनीक को सूचना तकनीक कहा जाता है।"

"प्रदत्त विश्लेषण में विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किसी मशीन या हार्डवेयर उपकरण अथवा कम्प्यूटर द्वारा विश्लेषण करके जो सम्प्रेषण किया जाता है, उसे अधिसूचना तकनीकी कहते हैं।"

हरित क्रांति और औद्योगिक क्रांति के बाद सूचना क्रांति (Information Revolution) के उदय से सर्विस सेक्टर (Service Sector) सबसे तेजी से विकास कर रहा है। इस सेक्टर में कार्य करने वाले लोगों को हाइट कॉलर वर्कर (White-Collar Worker) या नॉलेज वर्कर (Knowledge Worker) कहा जाता है।

अभिसूचना प्रणाली (Information System)

अतीत के दशकों में व्यापार तथा शिक्षा के क्षेत्र में अभिसूचना तकनीकी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। दूरवर्ती शिक्षा एवं मुक्त विश्वविद्यालय इसी तकनीकी की देन है। माध्यम तकनीकी के उपयोग से अनुदेशनात्मक प्रक्रिया अधिक तीव्र हो गई है। इस प्रकार सम्प्रेषण तथा संचार के लिए अभिसूचना प्रणाली (Information System) को विकसित किया जाता है।

अभिसूचना प्रणाली की परिभाषा के रूप में इसके अन्तर्गत प्रदत्तों पर आधारित मानवीय सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, सम्प्रेषण उपकरण तथा प्रदत्तों को सम्मिलित करके उनका नियन्त्रण तथा विश्लेषण करके अभिसूचना का सम्प्रेषण किया जाता है।

अभिसूचना प्रणाली के प्रकार (Types of Information System)

अभिसूचना प्रणाली का विभाजन दो वर्गों में किया जा सकता है-

  1. स्वयं मनुष्य द्वारा (Manual) तथा
  2. कम्प्यूटर पर आधारित अभिसूचना प्रणाली द्वारा (Computer Based Information System CBIS)

(1) स्वयं मनुष्य द्वारा (Manual System):- अभिसूचना प्रणाली का मुख्य उद्देश्य प्रदत्तों का संकलन करना, विश्लेषण करना तथा सम्प्रेषण या संचार करना है। परम्परागत मनुष्य स्वयं अपनी संस्था सम्बन्धी प्रदत्तों का संकलन तथा विश्लेषण करके जो परिणाम या सूचना प्राप्त करता है, उनका वह उपभोक्ताओं को सम्प्रेषण करता रहा है। मनुष्य अपने परिणामों को तालिका, चार्ट, ग्राफ आदि के रूप में प्रस्तुत करता रहा है; जैसे—छात्रों के परीक्षाफल, अंक तालिका, प्रमाण-पत्र, प्रवेश-पत्र आदि तैयार करना। इसके अतिरिक्त वायुयान, रेलवे में आरक्षण किए जाते थे, जिसे स्वयं मनुष्य द्वारा प्रणाली (Manual) कहते हैं।

(2) कम्प्यूटर पर आधारित अभिसूचना प्रणाली (Computer Based Information System CBIS):- आधुनिक समय में कम्प्यूटर पर आधारित अभिसूचना प्रणाली का विकास किया जा रहा है तथा इसका उपयोग सभी क्षेत्रों में किया जाने लगा है। इन विविध प्रकार की अभिसूचनाओं के लिए सॉफ्टवेयर कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं, जैसे विश्वविद्यालय परीक्षा परिणामों, प्रवेश-पत्र, अंक तालिका, प्रमाण-पत्र आदि। कम्प्यूटर में अपेक्षित सॉफ्टवेयर कार्यक्रम का उपयोग अभिसूचना के लिए किया जाता है। कम्प्यूटर पर आधारित अभिसूचना प्रणाली के मुख्य घटक इस प्रकार हैं-

  1. उपभोक्ता (Users) या छात्र,
  2. हार्डवेयर सम्प्रेषण उपकरण (Hardware / Communication Equipment),
  3. सॉफ्टवेयर कार्यक्रम (Software Programme),
  4. प्रदत्तों का आधार (Data Base), तथा
  5. विधियों का प्रारूप (Set of Method),

इनका संक्षिप्त विवरण यहाँ पर दिया गया है-

(i) उपभोक्ता (Users):– यह अभिसूचना प्रणाली का महत्त्वपूर्ण घटक है। उपभोक्ता की आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप ही अभिसूचना प्रणाली के सम्बन्ध में निर्णय लिया जाता है।

(ii) हार्डवेयर सम्प्रेषण उपकरण (Hardware/Communication Equipment):— आज हम आवश्यक सूचनाओं को शीघ्र प्राप्त करना चाहते हैं। विभिन्न संस्थान अपना नेटवर्क कम्प्यूटर पर तैयार कर लेते हैं। अभिसूचना प्रणाली में कम्प्यूटर के नेटवर्क, इन्टरनेट प्रणाली का सम्प्रेषण हेतु प्रयुक्त करते हैं।

(iii) सॉफ्टवेयर कार्यक्रम (Software Programme):- सॉफ्वेयर में आवश्यक कार्यक्रमों का चयन किया जाता है, जो विशिष्ट कार्य हेतु प्रयुक्त किया जा सके। प्रत्येक संस्थान के अपने नियम तथा आवश्यकताएँ होती हैं। कार्यक्रम को कम्प्यूटर द्वारा संस्थापित किया जाता है।

(iv) प्रदत्तों का आधार (Data Base):- सॉफ्टवेयर कार्यक्रम में प्रदर्शों को प्रविष्ट किया जाता है। आवश्यकतानुसार कम्प्यूटर के द्वारा इनका विश्लेषण किया जाता है। कच्चे प्रदत्तों का कम्प्यूटर द्वारा विश्लेषण करके उपभोक्ता को अभिसूचना प्रेषित की जाती है।

(v) विधियों का प्रारूप ( Set of Methods):— इस घटक का सम्बन्ध परम्परागत प्रणाली से अधिक है। संस्थाओं की व्यवस्था एवं नियम बदलते रहते हैं। इसी के अनुसार विधियाँ भी बदलती रहती हैं। अभिसूचना प्रणाली को परिवर्तन के अनुसार बदलना आवश्यक होता है। इसलिए यह प्रणाली लचीली होनी चाहिए।

अभिसूचना प्रणाली के कार्य (Functions of Information Technology)

कार्यों के आधार पर अभिसूचना प्रणाली का विभाजन पाँच प्रकार से किया गया है—

  1. प्रबन्धन प्रक्रिया प्रणाली,
  2. प्रबन्धन अभिसूचना प्रणाली,
  3. कार्य-प्रवाह प्रणाली,
  4. निर्णय सहायक प्रणाली, तथा
  5. विशेषज्ञ प्रणाली।

सूचना तकनीकी का शिक्षा में विकास (Development of Information Technology in Education)

शिक्षा के क्षेत्र में सूचना तकनीकी का विकास एवं प्रयोग सर्वाधिक ब्रिटेन ने किया। ब्रिटेन की सरकार ने 1987 में एक पंचवर्षीय योजना की घोषणा की, जिसमें समन्वित रूप में विद्यालय के पाठ्यक्रम में सूचना तकनीकी को सम्मिलित किया गया। इस योजना को 1988 में आरम्भ किया गया। ब्रिटेन में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम के अन्तर्गत सूचना सम्बन्धी बुनियादी विषयों को सम्मिलित किया गया। सरकार द्वारा नवीन कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर को सिखाने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा तकनीकी परिषद् ने 1992-93 में इस मद पर काफी व्यय किया।

आज भारतवर्ष में भी माध्यमिक एवं विश्वविद्यालय स्तरों पर सूचना तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है। विद्यालय प्रबन्धन एवं प्रशासन में भी इस तकनीकी का प्रयोग बहुतायत से किया जा रहा है।

सूचना तकनीक के विभिन्न उपकरण (Various Tools of Information Technology)

सूचनाओं के संचरण के लिये सूचना तकनीक के विभिन्न उपकरणों की आवश्यकता होती है। इसके प्रमुख उपकरण निम्नलिखित हैं-

(1) टेलीफोन (Telephone):— टेलीफोन का जाल आज सम्पूर्ण विश्व में फैला हुआ है। इसका उपयोग करके सूचना को ध्वनि के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने का कार्य कुछ ही पलों में सरलता से किया जा सकता है। ये टेलीफोन्स आपस में तार द्वारा जुड़े होते हैं।

(2) मोबाइल फोन (Mobile Phone):— मोबाइल फोन में सूचना का आदान-प्रदान ध्वनि के रूप में ही होता है। टेलीफोन तो किसी एक स्थान पर स्थित होता है, जबकि मोबाइल फोन को उसकी सीमा के अन्तर्गत हम किसी भी स्थान पर ले जा सकते हैं। टेलीफोन में सूचनाएँ तारों में प्रवाहित होती हैं, जबकि मोबाइल फोन में सूचनायें सूक्ष्म ध्वनि तरंगों के रूप में वायुमण्डल में प्रवाहित होती हैं।

(3) सेटेलाइट फोन (Satellite Phone):— टेलीफोन का उन्नत रूप है मोबाइल फोन और मोबाइल फोन का उन्नत रूप है— सेटेलाइट फोन मोबाइल फोन की एक निश्चित सीमा होती है जबकि सेटेलाइट 1 फोन की सीमा विस्तृत होती है। इस प्रकार के फोन में सूचना का आदान-प्रदान क्रत्रिम उपग्रहों के माध्यम से होता है। सूचना पहले उपग्रह तक जाती है और उपग्रह उस सूचना को लक्ष्य सेटेलाइट रिसीवर तक भेजता है।

(4) फैक्स (Fax):— फैक्स द्वारा लिखित सूचना का आदान-प्रदान किया जाता है। इसके लिये टेलीफोन के साथ फैक्स मशीन जोड़ी जाती है। इसके लिये आवश्यक है कि फैक्स के प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों के फोन के साथ फैक्स मशीन जुड़ी हो और उस समय यह मशीन ऑन हो। फैक्स भेजने वाला लिखित सूचना को फैक्स मशीन में डालकर, प्राप्तकर्ता का फैक्स नम्बर डायल करता है और प्राप्तकर्ता की फैक्स मशीन में उस लिखित सूचना का प्रिन्ट प्राप्त होता है।

(5) टेलीविजन (Television):— टेलीविजन की पहुंच आज घर-घर तक बन चुकी है। टेलीविजन पर विभिन्न चैनल्स विभिन्न विषयों पर आवश्यक प्रामाणिक सूचनायें समय-समय पर देते रहते हैं। | सूचना के क्षेत्र में टेलीविजन की उपयोगिता इससे स्पष्ट होती है, कि चुनाव के उपरान्त वोटों की गिनती के दौरान चुनाव परिणाम एवं रुझान टेलीविजन की सहायता से तुरन्त ही आम जनता को प्राप्त हो जाते हैं। अनेक खेलों तथा बड़े महोत्सवों का जीवन्त प्रसारण भी टेलीविजन पर किया जाता है।

(6) बी०सी०आर० (V.C.R.):- बी०सी०आर० का पूरा नाम वीडियो कैसेट रिकॉर्डर है। हम अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को कैमरे और बी०सी०आर० की सहायता से वीडियो कैसेट पर रिकॉर्ड कर सकते हैं। अनेक सूचनायें वीडियो कैसेट पर उपलब्ध होती हैं। व्यवसाय के क्षेत्र में इसका एक महत्वपूर्ण उपयोग यह भी है कि हम अपनी कम्पनी के क्रिया कलापों को वीडियो कैसेट पर रिकॉर्ड करके अपने ग्राहकों को भेजकर माल का और अधिक ऑर्डर देने के लिये और अपने निवेशकों को भेजकर और अधिक निवेश करने के लिये प्रेरित कर सकते हैं।

(7) कम्प्यूटर (Computer):- विभिन्न सूचनाओं को कम्प्यूटर में संग्रहीत किया जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर इन सूचनाओं को प्रयोग में लाया जा सकता है। कम्प्यूटर द्वारा सूचना के संग्रहण में कम स्थान घिरता है और यदि उचित बैकअप लिया हुआ है, तो सूचना के नष्ट होने की सम्भावना भी नगण्य रहती है। कम्प्यूटर की सहायता से इन्टरनेट का उपयोग करके हम सूचना का आदान-प्रदान ध्वनि और लिखित दोनों रूपों में कर सकते हैं। यहाँ तक विश्व के भिन्न-भिन्न स्थानों पर बैठे लोगों से एक साथ मीटिंग भी कर सकते हैं। कम्प्यूटर द्वारा सूचनाओं को इन्टरनेट से प्राप्त करने और प्रेषित करने के लिये कम्प्यूटर के साथ-साथ मॉडम तथा टेलीफोन लाइन भी आवश्यक होती है।

सूचना सम्प्रेषण तकनीकी के पक्ष (Aspect of Information and Communication Technology)

सूचना सम्प्रेषण तकनीकी के तीन पक्ष हैं— अदा/लागत (Input), प्रक्रिया/विश्लेषण (Process) तथा प्रदा/उत्पादन (Output)।

1. अदा या लागत (Input):— इसके अन्तर्गत प्रारम्भिक व्यवहार आता है। किसी मशीन या उपकरण के लिए आवश्यक कच्चा पदार्थ या आँकड़े (Raw Data) ही अदा कहलाता है।

2. प्रक्रिया (Process):- प्रारम्भिक आँकड़ों वा तथ्यों को विश्लेषण द्वारा शुद्ध एवं अर्थपूर्ण रूप में प्राप्त करने का तरीका प्रक्रिया कहलाता है।

3. प्रदा या उत्पादन (Output):– इसके अन्तर्गत अन्तिम व्यवहार या उत्पादन आता है। प्रदा का तात्पर्य उपलब्धि से होता है। उदाहरणार्थ-किसी कक्षा में विज्ञान के विद्यार्थियों के प्राप्तांक अदा कहलाते हैं। जब इन प्राप्तांकों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया जाता है, जैसे सबसे कम अंक पाने वाला छात्र, सबसे अधिक अंक पाने वाला छात्र अथवा सभी विद्यार्थियों के प्राप्तांकों को आरोही या अवरोही क्रम में रखना या ग्राफ द्वारा निरूपण कर विभिन्न निष्कर्ष निकालना, तो इसे प्रक्रिया कहा जाता है। सांख्यिकीय विश्लेषण के उपरान्त प्राप्त परिणाम प्रदा कहलाता है।

सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का क्षेत्र (Field of Information and Communication Technology in Education)

सूचना सम्प्रेषण तकनीकी ने मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष को प्रभावित किया है। संक्षेप में सूचना सम्प्रेषण तकनीकी का क्षेत्र इस प्रकार है-

  1. मानव संसाधन के विकास।
  2. दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम।
  3. आभासी विश्वविद्यालयों की स्थापना।
  4. शैक्षिक विकास एवं अनुसंधान
  5. समग्र गुणात्मक विकास।
  6. शिक्षा जगत में आमूल-चूल क्रान्तिकारी कदम की सम्भावनाओं को यथार्थ रूप प्रदान करना।
  7. शिक्षा एवं अनुसंधान जनित विषय सामग्री को प्रत्येक मानव तक प्रभावी ढंग से पहुँचना।
  8. पाठ्य सामग्री का समुचित एवं निर्माण करना।
  9. वैध एवं विश्वसनीय आंकड़ों को उपलब्ध कराना।
  10. विविध प्रकार की सूचनाओं को आसानी से सार्वभौमिक स्तर पर उपलब्ध कराना।
  11. शिक्षण अधिक प्रक्रिया में नवाचारों के प्रयोग को बढ़ावा देना।

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की उपयोगिता (Utility of Information and Communication Technology)

शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का अभिप्राय एक ऐसे तन्त्र से है जो सूचनाओं के सृजन, सूचनाओं तक पहुँचने, सूचना प्राप्त करने तथा उनकी आवश्यकतानुसार प्रक्रमण करने, सूचनाओं को प्राप्त करने एवं सूचनाओं के विस्तार व प्रसार करने के साधन, माध्यम व उपकरण के संयुक्त अभियन्त्रण से है। इसके अन्तर्गत 'हार्डवेयर', 'सॉफ्टवेयर' एवं कन्कटिंग तीनो प्रकार की तकनीक सम्मिलित हैं। कम्प्यूटर बहुमाध्यम इंटरनेट, ब्रॉडबैंड, मोबाइल व डिजिटल संचार प्रविधियों को बढ़ते अभिसार के फलस्वरूप सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकों को शिक्षा के क्षेत्र में पैठ निरन्तर बढ़ती जा रही है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिको को शिक्षा के शक्तिशाली, प्रभावी साधन के रूप में स्वीकार किया गया है।

शिक्षा के लिए छोड़ा गया उपग्रह 'एड्सेट' के आन्तरिक प्रक्षेपण, वेब आधारित अनुदेशन, डिजिटल लाइब्रेरी एवं बहुमाध्यम अभिकरणों ने शिक्षा क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। ऐसी प्रौद्योगिकी के ज्ञान, संचालन प्रयोग की अनभिज्ञता शिक्षक के अस्तित्व को खतरे में डाल सकती है। वर्तमान वैश्विक परिवेश में किसी भी अच्छे व अद्यतन शिक्षक व शिक्षार्थी के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में व्यावहारिक निपुणता अपरिहार्य बन गयी है।

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. इसके द्वारा तथ्यों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जाता है।
  2. प्राप्त आँकड़ों का विश्लेषण करने में उपयोगी है।
  3. जहाँ उन आँकड़ों तथ्यों एवं सूचना की आवश्यकता होती है वहाँ उनका प्रयोग किया जाता है।
  4. विद्यालयों एवं कालेजों में बच्चों को अध्यापन में सहायता प्रदान करना।
  5. नवीन जानकारियों को जस की तस विद्यार्थियों तक पहुंचाना।
  6. विद्यार्थियों को शिक्षा जगत में हो रहे परिवर्तनों से अवगत कराना।
  7. किसी भी विषय वस्तु को प्रमुख एवं नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराना।
  8. किसी दूरस्थ स्थान पर बैठे विशेषज्ञ, अध्यापक या वैज्ञानिक टेलीकॉन्फ्रेन्सिंग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाना।
  9. छात्र शिक्षकों के मध्य अन्तःक्रिया को बढ़ावा देना।
  10. विश्व के प्रमुख सन्दर्भ ग्रन्थो या पुस्तकों से विद्यार्थियों को परिचित कराना।
  11. ई-मेल द्वारा विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान करना।

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के शैक्षिक कार्य (Educational Functions of Information and Communication Technology)

सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ने बहुविधि उपयोग का लक्ष्य शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाना है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ने कक्षागत व अन्य अनुदेशन परिस्थितियों में प्रयुक्त किये जाने वाले साधनों व उपकरणों को भी विस्तारित किया है। आधुनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके शिक्षक बन्धु पाठ्य सामग्री, पाठ संकेत, शिक्षण तकनीक, अनुदेशात्मक परिवेश, आकलन विधियाँ व परीक्षा व्यवस्था जैसे पक्षों में सुधार ला रहे हैं।

उपरोक्त दृष्टिकोण से शिक्षा के क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के निम्नलिखित कार्य हैं—

  1. कक्षा शिक्षण के लिए रेडियो, दूरदर्शन प्रसारण, सो०डी० कैसेट, डी०वी०डी० कम्प्यूटर आदि उपकरणों के व्यापक प्रयोग के रूप में।
  2. सीखने के क्रियाकलापों के पर्यवेक्षण व प्रतिपुष्टि हेतु छात्रों का मूल्यांकन करने हेतु प्रयुक्त उपकरण के रूप में।
  3. छात्र विचार-विमर्श सामूहिक अधिगम वैयक्तिक अधिगम तथा अनुसन्धान हेतु नवीन शिक्षण विधियों के उपकरण के रूप में।
  4. छात्रों को अभिमत कराने, विचारों को उद्वेलित करने का अभिप्रेरणा प्रदान करने के साधन के रूप में।
  5. शिक्षण अधिगम सामग्री के स्थानापन्न के रूप में।
  6. चाक-बोर्ड के विकल्प के रूप में।

शिक्षा संस्थाओं के कक्षा-कक्षाओं, कार्यालय पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं, खेल के मैदान में तीव्रता से प्रवेश किया है, जिनके कारण सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का अपरिहार्य अंग बन गया है। छात्र के अधिगम स्तर के अनुरूप अनुदेशन प्रदान करने की सामर्थ्य के कारण सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है।

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के साधन (Information and Communication Technology Tools)

आज शिक्षा क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के भौतिक संसाधनों का प्रयोग किया जा रहा है। कुछ निम्नलिखित हैं-

  1. कैलकुलेटर (संगणक)
  2. डिजिटल पुस्तकालय
  3. मल्टीमीडिया
  4. इण्टरनेट
  5. ब्रोडबैण्ड
  6. वर्ल्ड वाइड वेब
  7. ऑडियो और वीडियो (श्रव्य दृश्य)
  8. हाइपर टैक्स्ट
  9. सर्च इंजन (गूगल)
  10. टैक्स्ट एवं ग्राफिक्स
  11. ऑन लाइन आवेदन करना, परीक्षा, साक्षात्कार, प्रोफाइल करना
  12. वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग
  13. डटैली कॉन्फ्रेसिंग
  14. ई-मेल आदि।

उपरोक्त सभी संसाधनों (उपागमों) के प्रयोग, अनुप्रयोग वे अनुश्रवण हेतु शिक्षा विभाग द्वारा अनेक प्रकार के शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम उपाधियों कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।

शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की आवश्यकता (Need for Information and Communication Technology in Education)

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ने दुनिया को एक Global Village में बदल दिया है। वर्तमान युग सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का युग कहा जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ने क्रान्ति ला दी है। शिक्षा के क्षेत्र में पुरानी मान्यताएं व सीमाएं टूट रही है। वर्तमान समय में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शिक्षा के क्षेत्र में रीढ़ की हड्डी साबित हो रहा है। दिन-प्रतिदिन सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की आवश्यकता एवं उपयोगिता महसूस की जा रही है। नई शिक्षा नीति 1986 से आधुनिकीकरण के सन्दर्भ में कम्प्यूटर साक्षरता एवं सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग के लिए जो सिफारिश की थी उन्हें आज हम शिक्षा के क्षेत्र में कार्यात्मक रूप से देख रहे हैं। 21 वीं सदी में प्रवेश कर चुके वर्तमान में भारत देश में भी ऐसी स्थिति है कि-

  1. आज भी विद्यालय एवं कॉलेज के लगभग 2,00,000 शिक्षक अप्रशिक्षित हैं।
  2. साक्षरता की स्थिति भी विकसित राष्ट्रों के समकक्ष नहीं है।
  3. ग्रामीण परिवेश में आज भी शिक्षा केन्द्रों की आवश्यकता है।
  4. दूरस्थ शिक्षा के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के साधनों की आवश्यकता है।
  5. वृहद स्तर पर पाठ्यक्रम पाठ्य-पुस्तक परीक्षा सूचना आदि के लिए इन साधन की प्रबल माँग है।
  6. लाखों छात्रों की प्रतियोगी एवं चयन निर्धारण के लिए आवश्यक है।

उपर्युक्त बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट यह कहा जा सकता है कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के साधनों की आज अत्यन्त आवश्यकता है। रेलवे बैंक, बीमा, उद्योग, शिक्षा चिकित्सा, कृषि एवं अन्य विभागों में इन साधनों को दिन-प्रतिदिन आवश्यकता व माँग बढ़ रही है।

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