शैक्षिक तकनीकी के प्रकार | Types of Educational Technology in hindi
शैक्षिक तकनीकी के प्रकार (Types of Educational Technology)
शैक्षिक तकनीकी हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर उपागम के मध्य निरन्तर अन्तः क्रिया है जिसके द्वारा शिक्षा को प्रभावशीलता को बढ़ाने, शिक्षण तथा अधिगम में सुधार लाने, इनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी के तीन उपागम या रूप होते हैं— कठोर शिल्प उपागम, मृदु शिल्प उपागम तथा प्रणाली उपागम। इसके अतिरिक्त शैक्षिक तकनीकी के तीन प्रकार होते हैं।
- व्यवहार तकनीकी
- अनुदेशन तकनीकी
- शिक्षण तकनीकी।
1. व्यवहार तकनीकी (Behavioral Technology)
व्यवहार तकनीकी शैक्षिक तकनीकी का महत्त्वपूर्ण अंग है। यह इस बात पर बल देती है कि अधिगम तथा शिक्षण में मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तो का प्रयोग किया जाये जिससे शिक्षण उद्देश्यों के सन्दर्भ में विद्यार्थी तथा शिक्षक दोनों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन हो सके। व्यवहार तकनीको व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास करती है। व्यवहार परिवर्तन ही अधिगम प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है।
बी०एफ० स्किनर ने व्यवहार तकनीकी को विकसित करने में विशेष योगदान दिया है। स्किनर ने अधिगम सम्बन्धी सक्रिय अनुकूलन सिद्धान्त प्रतिपादित किया और प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया कि व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन किया जा सकता है। व्यवहार तकनीकों एक ओर जहाँ बताती है कि विद्यार्थियों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर शिक्षक के कक्षा सम्बन्धी व्यवहार का निरीक्षण, परीक्षण, विश्लेषण, व्याख्या तथा विकास की प्रविधियों का उल्लेख भी किया जा सकता है। व्यवहार तकनीकी को प्रशिक्षण तकनीकी के नाम से भी जानते हैं।
व्यवहार तकनीकी की अवधारणाएँ (Concepts of Behavioral Technology)
व्यवहार तकनीकी निम्नलिखित अवधारणाओं पर आधारित है-
- शिक्षा का व्यवहार सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक होता है।
- शिक्षक का व्यवहार अवलोकन योग्य होता है।
- शिक्षक का व्यवहार सापेक्षिक होता है।
- शिक्षक का व्यवहार मापनीय होता है।
- शिक्षक का व्यवहार संशोधन योग्य होता है।
- शिक्षक केवल जन्मजात नहीं होते हैं बल्कि उन्हें तैयार निर्मित किया जा सकता है।
व्यवहार तकनीकी का कार्यक्षेत्र शिक्षक के कक्षा व्यवहार का अध्ययन करना, निरीक्षण, विश्लेषण तथा मूल्यांकन करना है। इसमें शिक्षक को कुशल तथा उसके व्यवहार को प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक अकार की विधियों को अपनाया जाता है।
व्यवहार तकनीकी की विशेषताएँ (Features of Behavioral Technology)
- व्यवहार तकनीकी मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का अनुकरण करती है।
- व्यवहार तकनीकी पृष्ठपोषण तथा पुनर्बलन पर बल देती है।
- व्यवहार तकनीकी शिक्षक की क्रियाओं का वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण से अध्ययन करती है।
- यह तकनीकी सॉफ्टवेयर उपागम पर आधारित होती है।
- व्यवहार तकनीकी छात्र अध्यापकों की वैयक्तिक विभिन्नताओं पर ध्यान केन्द्रित करती हैं।
- यह तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण संस्थाओं द्वारा आदर्श तथा प्रभावशाली शिक्षक तैयार करने में उपयोगी है।
- यह भावात्मक एवं क्रियात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायता प्रदान करती है।
- इसके द्वारा पाठ्यवस्तु तथा विचारों के आदान-प्रदान की शैली में परिवर्तन एवं सुधार लाया जा सकता है।
2. अनुदेशन तकनीकी (Instructional Technology)
अनुदेशन तकनीकी में कक्षा या कक्षा के बाहर पाठ्य वस्तु को प्रस्तुत करने का वर्णन किया जाता है। अनुदेशन का अर्थ है— सूचना देना। यह कार्य शिक्षक के अतिरिक्त अन्य साधनों तथा युक्तियों द्वारा भी पूरा किया जा सकता है। अनुदेशन तकनीकी हार्डवेयर उपागम पर आधारित होती है। इसके अन्तर्गत टेपरिकॉर्डर, रिकार्ड प्लेयर, टेलीविजन, प्रोजेक्टर, कम्प्यूटर आदि मशीनों पर आधारित सामग्री आती है।
एस०एम० मैकमूरिन के शब्दों मे, "अनुदेशन तकनीकी शिक्षण और सीखने को सम्पूर्ण प्रक्रिया को विशिष्ट उद्देश्य के अनुसार डिजाइन करने, चलाने तथा उसका मूल्यांकन करने की एक क्रमबद्ध रीति है। यह शोध कार्य तथा मानवीय सीखने एवं आदान-प्रदान पर आधारित है। इसमें सीखने को प्रभावपूर्ण बनाने के लिए मानवीय तथा अमानवीय साधनों का प्रयोग किया जाता है।"
उपर्युक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि अनुदेशन तकनीकी सीखने को प्रभावशाली बनाने की प्रक्रिया को प्रेरित करती है।
अनुदेशनात्मक तकनीकी की अवधारणाएँ (Concepts of Instructional Technology)
- विद्यार्थी अपनी क्षमताओं और आवश्यकतानुसार सीख सकता है।
- शिक्षक की अनुपस्थिति में भी विद्यार्थी सीख सकता है।
- अनुदेशन तकनीकी द्वारा अधिगम उद्देश्यो को प्राप्त किया जा सकता है।
- इस तकनीकी द्वारा विषय सामग्री को विभिन्न तत्त्वों में बाँटकर प्रत्येक भाग को स्वतन्त्र रूप में पढ़ाया जा सकता है।
- अनुदेशन के निरन्तर प्रयोग से समुचित पुनर्बलन प्रदान किया जा सकता है।
अनुदेशन तकनीकी की विशेषताएँ (Features of Instruction Technology)
- अनुदेशन तकनीकी ज्ञानात्मक उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक है।
- इसमें विद्यार्थी अपनी आवश्यकतानुसार और अपनी गति से अनुसार सीख सकते हैं।
- यह तकनीकी प्रभावी शिक्षकों की कमी को पूरा करती है।
- यह मनोवैज्ञानिक एवं सीखने के सिद्धान्तों पर आधारित है।
- इस तकनीकी में पाठ्य वस्तु का गहराई से विश्लेषण किया जाता है एवं जिससे वह बोधगम्य बनता है।
- यह तकनीकी पाठ्य वस्तु के स्वरूप तथा इसमें निहित तत्त्वों के क्रम में अधिगमकर्त्ता के अन्दर गहन अन्तर्दृष्टि उत्पन्न करती है।
- अधिगम प्रक्रिया में इस तकनीकी का प्रयोग करके अनुदेशनात्मक सिद्धान्तों का विकास किया जा सकता है।
- इस तकनीकी से सम्बन्धित नवीनतम प्रयोगों तथा अनुसन्धान के निष्कर्षो को लागू करके अनुदेशात्मक सिद्धान्तों को विकसित किया गया है।
3. शिक्षण तकनीकी (Teaching Technology)
शिक्षण एक सोद्देश्य प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्र का सर्वांगीण विकास करना है, जो छात्र और शिक्षक की अन्तक्रिया द्वारा सम्पन्न होती है। शिक्षण के मुख्य दो तत्व होते पाठ्यवस्तु तथा सम्प्रेषण शिक्षण तकनीकी के अन्तर्गत पाठ्यवस्तु तथा सम्प्रेषण दोनों तत्त्वों को सम्मिलित किया जाता है।
शिक्षण कला एवं विज्ञान दोनों है। अतः शिक्षण का आधार कला के साथ-साथ वैज्ञानिक भी हैं। शिक्षण तकनीकी शिक्षण के नवीन विधियों के प्रयोग पर बल देती है। जिसका उद्देश्य प्रमुख रूप से शिक्षण तथा अभिगम को प्रभावशाली बनाना है।
शिक्षण तकनीकी की अवधारणाएं (Concepts of Teaching Technology)
शिक्षण तकनीकी निम्नलिखित अवधारणाओं पर आधारित है–
- शिक्षण प्रक्रिया की प्रकृति वैज्ञानिक है।
- शिक्षण क्रियाओं में आवश्यक सुधार किये जा सकते हैं।
- शिक्षण और अधिगम में पारस्परिक सम्बन्ध स्थापित किये जा सकते हैं।
- प्रभावशाली अधिगम के लिये शिक्षण द्वारा उचित परिस्थितियाँ उत्पन्न की जा सकती है।
- शिक्षण क्रियाओं द्वारा पूर्व निर्धारित उद्देश्य प्राप्त किये जा सकते हैं।
- पृष्ठपोषण विधि द्वारा शिक्षण कौशलों का विकास किया जा सकता है।
शिक्षण तकनीकी की विशेषताएँ (Features of Teaching Technology)
शिक्षण तकनीकी की विशेषताएं इस प्रकार हैं-
- शिक्षण तकनीकी से शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
- शिक्षण तकनीको से दोनों पक्षों ज्ञानात्मक, भावात्मक और क्रियात्मक तीनों पक्षों के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
- शिक्षण तकनीकी की सहायता से शिक्षण प्रक्रिया स्मृति स्तर से लेकर चिन्तन तक संगठित की जा सकती है।
- इस तकनीकी में समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, तथा मनोविज्ञान की सहायता ली जाती है।
- शिक्षण तकनीकी में लागत प्रक्रिया तथा उत्पादन संलिप्त होते हैं।
- शिक्षण तकनीकी के माध्यम से छात्राध्यापक तथा सेवारत शिक्षक दोनों ही अपने शिक्षण को प्रभावशाली बना सकते हैं।
- शिक्षण तकनीकी की सहायता से शिक्षण प्रक्रिया के चार सोपानों नियोजन, संगठन, मार्गदर्शन एवं नियन्त्रण में तारतम्यता स्थापित की जाती है।
- इसकी सहायता से शिक्षण प्रतिमानों का निर्माण किया जाता है।
- शिक्षण तकनीकी शिक्षण को उचित शिक्षण विधियों एवं नीतियों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
शिक्षण तकनीकी एवं अनुदेशन तकनीकी में अन्तर (Difference between Teaching Technology and Instructional Technology)
अन्तर का आधार | शिक्षण तकनीकी | अनुदेशानात्मक तकनीकी |
1. जन्मदाता | इसके जन्मदाता आई० के० डेविस, हण्ट मॉरिसन, हरपर्ट हैं। | इसके जन्मदाता प्रूनर, रॉबर्ट ग्लेसर एवं लम्सडेन हैं। |
2. उद्देश्य | ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक तीनों पक्षों का विकास। | केवल ज्ञानात्मक पक्ष का विकास। |
3. उपागम | पाठ्यवस्तु और संचार प्रणाली या उपागम। | समशीन प्रणाली या उपागम। |
4. आधार | दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, वैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय आधार। | मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक आधार। |
5. शिक्षण | अन्तक्रिया। | वैज्ञानिका। |
6. | स्मृति, बोध एवं चिन्तन स्तर | स्मृति स्तर |
7. शिक्षक का स्थान | प्रवन्धक के रूप में। | सहायक के रूप में। |
8. सिद्धान्त | शिक्षण कला व सीखने का विज्ञान। | अदा, प्रक्रिया, प्रदा का सिद्धान्त। |
9. प्रयोग | कक्षा अध्यापक को उद्देश्यपूर्ण प्रभावशाली बनाने के लिए। | स्वयं अध्ययन, पत्राचार, उपचारात्मक अध्ययन। |
10. उदाहरण | नियोजन, व्यवसाय, नेतृत्व एवं नियन्त्रण आदि इसके उदाहरण हैं। | पत्राचार पाठ्यक्रम, स्वयं शिक्षा, अभिक्रमित अध्ययन आदि इसके उदाहरण हैं। |
शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षिक तकनीकी की भूमिका (Role of Educational Technology in the field of Education)
शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षिक तकनीकी की भूमिका निम्नलिखित हैं-
- शिक्षण तकनीकी के आधार पर शिक्षण के नवीन सिद्धान्तों, प्रतिमानों, युक्तियों, प्रविधियों आदि के निर्धारण के द्वारा शिक्षण को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
- शिक्षण तकनीकों के आधार पर शिक्षण एवं अधिगम के क्षेत्रों में मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के प्रयोग के द्वारा शिक्षण प्रक्रिया को अधिक सोद्देश्यपूर्ण बनाया जा सकता है।
- शैक्षिक तकनीकों के माध्यम से वैयक्तिक भिन्नता के आधार पर शिक्षा प्रदान की जा सकती है।
- शैक्षिक तकनीकी न केवल छात्रों के अपितु प्रभावशाली अध्यापकों के निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- शैक्षिक तकनीकी ज्ञान के सम्प्रेषण अथवा संचय के साथ-साथ ज्ञान के खोज तथा विकास में भी सहायक होती है।
- शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से सर्वसुलभ एवं कम व्ययपूर्ण शिक्षा प्राप्त की जा सकती है।
- व्यक्तिगत परीक्षार्थियों के समक्ष आने वाली समस्याओं का समाधान शैक्षिक तकनीकी की अपेक्षाकृत सहज होने से यह व्यक्तिगत परीक्षार्थियों हेतु सहायक होती है।
- शैक्षिक तकनीको अनुसन्धान एवं शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र में सहायक होती है।