ई-अधिगम क्या है? What is E-Learning in hindi

ई-अधिगम (E-Learning)

इलेक्ट्रॉनिक अधिगम को ई-अधिगम भी कहते हैं। इसे कम्प्यूटर प्रोत्साहित अधिगम भी कहते है। ई-अधिगम को कई अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है। इस प्रत्यय का सम्बन्ध वृहद् अधिगम तकनीकी से अधिक है। ई-अधिगम में तकनीकी तथा अधिगम विधियों को सम्मिलित किया जाता है। इसमें कम्प्यूटर नेटवर्क तथा बहुमाध्यम तकनीकी का उपयोग किया जाता है।

What is E-Learning

ई-अधिगम का अर्थ (Meaning of E-Learning)

ई-अधिगम शिक्षा का एक नवीन प्रत्यय है। इसके अन्तर्गत इण्टरनेट तकनीकी का उपयोग पाठ्यवस्तु के प्रस्तुतीकरण एवं संचार में किया जाता है। इस तकनीकी को सहायता से अधिगम के लिए समुचित वातावरण को शिक्षकों तथा छात्रों हेतु उत्पन्न किया जाता है। ई-अधिगम जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया को प्रोन्नत करती है। समाज तथा समुदाय को अधिगम सुविधा प्रदान करती है।

ई-अधिगम में इण्टरनेट के उपयोग से अधिगम के वातावरण का विस्तार किया जाता है। इण्टरनेट की सहायता में शिक्षकों तथा छात्रों के अधिगम वातावरण का विस्तार किया जाता है। यह वातावरण छात्र केन्द्रित होता है जबकि परम्परागत शिक्षा में अधिगम वातावरण शिक्षक केन्द्रित होता है। ई-अधिगम को प्रमुख विशेषता यह है कि पाठयवस्तु का प्रस्तुतीकरण एवं संचार कम्प्यूटर इण्टरनेट प्रणाली से किया जाता है।

ई-अधिगम प्रणाली, शिक्षा की वैकल्पिक प्रणाली नहीं है अपितु एक नवीन शिक्षा की प्रणाली है जो सभी को शिक्षा के या अधिगम के अवसर प्रदान करती है। उच्च शिक्षा की एक मितव्ययी प्रणाली है। ई-अधिगम व्यापक एवं महत्त्वपूर्ण शिक्षा प्रणाली है। इसके द्वारा पाठयवस्तु का स्वामित्व विकसित किया जाता है। इसकी प्रभावशीलता परम्परागत शिक्षा के समान होती है।

ई-अधिगम एक व्यापक प्रत्यय है कम्प्यूटर व इण्टरनेट द्वारा इस प्रकार के अधिगम का सम्पादन किया जाता है। इस अधिगम का संचार नेटवर्क के माध्यम से सभी को सभी स्थानों के लिए किया जाता है। ई-अधिगम का अनुदेशनात्मक प्रारूप अपने में पूर्ण होता है। क्योंकि इसमें वर्षों से शिक्षण सिद्धान्तों का उपयोग किया गया है। इसका उपयोग दूरवर्ती शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, सतत् शिक्षा तथा व्यावसायिक शिक्षा में विश्व के अनेक देशों में किया जाने लगा है।

ई-अधिगम, अधिक व्यापक प्रत्यय है। इस प्रकार के अधिगम की व्यवस्था कम्प्यूटर के सन्दर्भ में की जाती है। ई-अधिगम को तकनीकी शब्दावली के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है।

ई-अधिगम की परिभाषा (Definitions of E-Learning)

ई-अधिगम की परिभाषायें निम्नलिखित हैं—

(i) ब्राण्डोन हॉल के अनुसार, "जब अनुदेशन का संचार आंशिक या पूर्णरूप में विद्युत यन्त्रों के माध्यमों की सहायता से तथा वेबसाइट व इण्टरनेट अथवा बहुमाध्यमों सीडी रोम, डी० वी०डी० से किया जाता है तब उसे ई-अधिगम कहते हैं।"

(ii) टॉम कैली तथा सिसको के अनुसार, "ई-अधिगम द्वारा अभिसूचना सम्प्रेषण की सहायता से शिक्षा तथा प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण की क्रियायें, छात्र के अधिगम एवं प्रशिक्षण प्रक्रियाओं का उल्लेख नहीं किया जाता है। छात्र की आवश्यकताओं के अनुरूप ज्ञान तथा कौशल उत्तम ढंग से प्रदान किया जाता है।"

(iii) लर्निंन सरक्वटस के अनुसार, "ई-अधिगम उपयोग एवं प्रक्रिया का व्यापक क्षेत्र है जैसे देव-आधारित अधिगम, कम्प्यूटर आधारित अधिगम तथा वास्तविक कक्षा शिक्षण को सम्मिलित किया जाता है। इन माध्यमों से पाठ्यवस्तु का संचार किया जाए तथा इण्टरनेट का उपयोग किया जाए। दृश्य एवं श्रव्य टेप, सेटलाइट प्रसारण में दूरदर्शन, सीडी रोम का उपयोग किया जाता है।"

(iv) रोमनवर्ग के अनुसार, "ई-अधिगम में इण्टरनेट प्रणाली का उपयोग किया जाता है। इण्टरनेट तकनीकों से पाठ्यक्रम का संचार किया जाता है जिससे ज्ञान में वृद्धि की जाती है। और छात्रों की निष्पत्तियों में वृद्धि होती है।"

ई-अधिगम की विशेषताएँ (Characteristics of E-Learning)

ई-अधिगम की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. ई- अधिगम में बहुमाध्यमों का उपयोग किया जाता है।
  2. इस प्रकार के अधिगम में छात्रों को अपनी गति से सीखने का अवसर दिया जाता है। इसे स्वाध्याय भी कह सकते हैं।
  3. ई-अधिगम में अधिक संख्या में छात्रों को सम्मिलित किया जाता है तथा कक्षा में छात्रों की संख्या अधिक होती है।
  4. इस अधिगम को कम्प्यूटर द्वारा प्रोन्नत किया जाता है। इसमें इण्टरनेट प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
  5. यह अधिगम स्वः निर्देशित होता है छात्र अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यवस्तु का चयन करता है।
  6. ई-अधिगम कक्षा अधिगम में मित्तव्ययी तथा तीव्र होता है।
  7. ई-अधिगम छात्र केन्द्रित होता है।
  8. ई-अधिगम से कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट कौशलों का विकास होता है।
  9. ई-अधिगम में भौगोलिक बाधाओं का समाधान होता है तथा मुक्त शिक्षा का प्रावधान भी होता है।
  10. ई-अधिगम में संचार माध्यमों तथा विधियों को सयुक्त रूप से प्रयुक्त किया जाता है।
  11. इसमें छात्रों को अन्तःप्रक्रिया का अवसर अधिक प्राप्त होता है।
  12. इस अधिगम का आयोजन ऑन-लाइन किया जाता है। छात्र अपनी आवश्यकतानुसार उपयोग कर सकता है।

ई-अधिगम के प्रकार (Types of E-Learning)

ई-अधिगम के अनेक प्रकार की प्रविधियो को प्रयुक्त किया जाता है। इसमें बहुमाध्यमों का प्रयोग किया जाता है। ई-अधिगम के प्रमुख प्रकार इस प्रकार है-

  1. सिनोक्रोनुआस अधिगम (Synchronous learning)।
  2. ऑन-लाइन अधिगम (On line learning)।
  3. वेब आधारिक अधिगम (Web-based learning)।
  4. दृश्य / श्रव्य टेप द्वारा अधिगम।
  5. मिश्रित अधिगम (Blended learning)।
  6. स्वाध्याय (Self study)।
  7. असिनक्रोनप्रास अधिगम (Asynchronous learning)।
  8. कम्प्यूटर आधारित अधिगम (CD Rom)।

ई-अधिगम प्रणाली के अन्तर्गत छात्रों को सीखने हेतु पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान की जाती है। इसे मुक्त अधिगम (Open learning) अथवा बहुमाध्यम अधिगम भी (Multi-media learning) भी कहते हैं।

ई–अधिगम के उद्देश्य (Objectives of E-Learning)

ई-अधिगम से कम्प्यूटर का उपयोग शिक्षा में किया जाता है। इससे मिश्रित माध्यमों को प्रयुक्त किया जाता है। कम्प्यूटर आधारित क्रियाओं के समन्वित रूप में कक्षा शिक्षण में प्रयुक्त किया जाता है। ई-अधिगम से निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है-

  1. ई-अधिगम से स्थानीय समुदाय तथा भूमण्डलीय समुदाय को शिक्षा की सुविधा प्रदान करना।
  2. ई-अधिगम से शिक्षा के सभी को समान अवसर प्रदान करना।
  3. मुक्त विश्वविद्यालयों में ई-अधिगम द्वारा शिक्षा प्रक्रिया को व्यवस्था करना।
  4. ऑन न-लाइन शिक्षा से शोध अध्ययनों को तीव्रता से वृद्धि करना।
  5. ई-अधिगम से पाठ्यवस्तु का संचार तथा सम्प्रेषण करना।
  6. ई-अधिगम से मुक्त रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना।
  7. ई-अधिगम के उपयोग से वृहद् अधिगम तकनीकी का विकास करना।
  8. ई-अधिगम से उच्च शिक्षा को मितव्ययी बनाना ।
  9. ऑन-लाइन शिक्षा का ई-अधिगम से प्रोत्साहन तथा प्रोन्नत करना।
  10. ई-अधिगम से मिश्रित माध्यमों को प्रोत्साहित करना।

ई-अधिगम के लाभ (Advantages of E-Learning)

ई-अधिगम के अनेक महत्वपूर्ण लाभ हैं जो ऑन-लाइन सीखते हैं, यहाँ कुछ मुख्य लाभों का उल्लेख किया है वे इस प्रकार हैं-

1. एक स्थान से दूसरे स्थान में सुगमता एवं सुविधा:— (i) ऑन-लाइन अध्ययन से उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती है, (ii) कार्यक्रम के अनुसार पाठयक्रमों तक पहुँच होती है, (iii) अधिगम स्वतः गति से होता है, (iv) स्थान की सीमा भी नहीं होती है, (v) समय सीमा का बन्धन नहीं होता, (vi) अध्यापन ऑन लाइन तथा किसी माध्यम से भी किया जाता है।

2. चयन एवं व्यय:– (i) उपाधि, प्रमाण-पत्र तथा व्यवसाय के कार्यक्रम होते हैं, (ii) व्यक्तिगत पाठ्यक्रम हेतु अनुदेशन उपलब्ध होते हैं, (iii) उच्च शिक्षा की उपाधि के लिए विश्वविद्यालयों में आ सकते हैं. (iv) व्यापक क्षेत्र से पाठ्यक्रमों का चयन किया जाता है, (v) कलात्मक विषयों तथा वैज्ञानिक विषयों को ऑन-लाइन शिक्षा की सुविधा होती है। इसका दूरवर्ती शिक्षा में अधिक उपयोग किया जाता है, (vi) यह आयाम मितव्ययी तथा अधिक व्यापक होता है, (vii) सतत् शिक्षा का आयोजन किया जाता है।

3. लचीलापन:— (i) स्वाध्याय हेतु अनुदेशन का चयन किया जाता है, (ii) अपनी आवश्यकतानुसार अधिगम के उत्तम उपकरण का उपयोग अपने ढंग से कर सकते हैं, जिससे अधिगम में सुगमता होती है. (iii) ऑन-लाइन अधिगम में विकल्पों का समायोजन होता है, इच्छानुसार विषयों का चयन किया जाता है, (iv) जिस पाठयवस्तु का ज्ञान है उसे छोड़ा जा सकता है।

4. उच्च धारण:- ऑनलाइन अधिगम के लिए प्रकरण का चयन अपने रुचि के अनुसार कर सकते हैं। इस ऑन-लाइन पर विविध प्रकरणों को विविध विधियों से सम्प्रेषण/संचार किया जाता है। इससे धारण शक्ति में वृद्धि होती है।

5. अधिगम में सहयोग:- तकनीकी के उपकरणों के उपयोग से छात्रों के अधिक सहयोग को प्रोत्साहन मिलता है। प्रकल्पों में अधिगम के सहयोग को ऑन-लाइन वातावरण से विकसित किया जाता है। इनमें आमने-सामने की अन्तःप्रक्रिया नहीं होती है।

6. भूमण्डलीय अधिगम के अवसर:- तकनीकी उपकरणों से छात्रों में सहयोग की भावना सरलता से विकसित होती है। यह प्रवृत्ति ऑन-लाइन अधिगम से विश्व स्तर पर विकसित होती है। तकनीकी उपयोग से । पाठ्यवस्तु का सम्प्रेषण भूमण्डलीय स्तर पर ऑन-लाइन अधिगम से किया जाता है जो परम्परागत शिक्षा से सम्भव नहीं है।

ई-अधिगम के माध्यम (Medium of E-Learning)

ई-अधिगम का उपयोग सम्पूर्ण विश्व में वेब या सोडी रोम की सहायता से किया जाता है। यह दूरवर्ती अधिगम के समान है। इसमें माध्यमों का उपयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत माध्यमो की सहायता से संचार तथा सम्प्रेषण किया जाता है। इसमें अग्रांकित माध्यमों का प्रयोग किया जाता है-

1. मुद्रित माध्यम:- इसमें ई० पाठयवस्तु, पाठय पुस्तकों तथा ई० जिन्स का उपयोग किया जाता है।

2. दृश्य माध्यम:— इसमें दृश्य-टेप, केबिल, दृश्य प्रवाह, सैटलाइट प्रसारण, दूरदर्शन आदि माध्यमो का उपयोग करते हैं।

3. सम्प्रेषण माध्यम:— इस प्रकार के माध्यम को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है-

  • (अ) असिनक्रोनस माध्यम:- इसके अन्तर्गत, ई-मेल, सुनना, वाद-विवाद आदि को सम्मिलित किया जाता है।
  • (ब) सिनक्रोनस माध्यम:- इसके अन्तर्गत इण्टरनेट, दृश्य-सम्मेलन तथा टेलीकांफ्रेसिंग का उपयोग किया जाता है।

ई-अधिगम की तकनीकियां (Technologies of E-Learning)

ई-अधिगम को मिश्रित अधिगम भी कहते हैं। इसमें अनेक प्रकार के माध्यमों का उपयोग किया जाता है। इसमें प्रयुक्त की जाने वाली तकनीकी अग्र प्रकार की है-

  1. वेब साइट,
  2. वेब आधारित शिक्षण सामग्री,
  3. इण्टरनेट पाठ्यवस्तु,
  4. अनुकरणीय भूमिका निर्वाह
  5. बहुमाध्यम सीडी रोम,
  6. वास्तविक कक्षा शिक्षण तथा,
  7. ई-मेल तथा मोबाइल अधिगम,
  8. खेल,
  9. अधिगम व्यवस्थिति सॉफ्वेयर,
  10. कम्प्यूटर सहायक आकलन।

ई-अधिगम में सम्प्रेषण तकनीकी का उपयोग (Use of Communication Technology in E-Learning)

सम्प्रेषण तकनीकी को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है-

1. असिनक्रोनस माध्यम:- असनकोनास की क्रियाओं में ई-अधिगम, वेब, लॉग विकिस तथा वाद-विवाद का उपयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत विचारों के आदान-प्रदान का अवसर दिया जाता है। ई-मेल को भी इसी के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है। इसमें शिक्षक तथा छात्रों की सहभागिता होती है।

2. सिनक्रोनस माध्यम:- इस सम्प्रेषण के अन्तर्गत विचारों का आदान-प्रदान किया जाता है। इसके आमने-सामने का शिक्षण तथा अन्तःप्रक्रिया का अवसर दिया जाता है। इसमें सभी की भागेदारी होती है। ऑन-लाइन वाद-विवाद होता है तथा मिश्रित सम्प्रेषण तकनीकियों का उपयोग किया जाता है।

वास्तविक कक्षा शिक्षण में मिश्रित सम्प्रेषण तकनीकियों का उपयोग किया जाता है। इसके अन्तर्ग शिक्षक एवं छात्रों के मध्य अन्तः प्रक्रिया होती है और शब्दिक व अशब्दिक सम्प्रेषण का उपयोग किया जात है।

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