प्रश्नावली विधि का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएँ, लाभ एवं दोष | Meaning, Definition, Types, Features, Advantages and Disadvantages of Questionnaire Method in hindi

प्रश्नावली विधि का अर्थ

शिक्षा मनोविज्ञान एवं अन्य सामाजिक विज्ञानों के क्षेत्र में कई प्रकार को सूचनाएँ अर्जित करने हेतु प्रश्नावली प्रविधि की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा मनोविज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अनुसन्धान अध्ययनों में आँकड़े संकलित करने हेतु प्रश्नावली एक मुख्य उपकरण के रूप में प्रयुक्त होती है। शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों, शिक्षकों एवं उनमें सम्बन्धित शैक्षिक समस्याओं के समाधान हेतु प्रायः लोग प्रश्नावली प्रविधि का उपयोग करते हैं। इसके अलावा अध्यापक के व्यक्तित्व के गुणों का मापन करने हेतु सामान्य रूप से विशिष्ट प्रकार की प्रश्नावलियां बनायी जाती है।

Meaning, Definition, Types, Features, Advantages and Disadvantages of Questionnaire Method

प्रश्नावली विधि की परिभाषाएँ

प्रश्नावली विधि की प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-

1. गुड एवं हैट के अनुसार, "प्रश्नावली एक प्रकार का उत्तर प्राप्त करने का साधन है। जिसका स्वरूप ऐसा होता है कि उत्तरदाता उसकी पूर्ति स्वयं करता है।"

2. लुण्डबर्ग के अनुसार, "प्रश्नावली उद्दीपनों का एक समूह है जो साक्षर व्यक्तियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। जिससे इन उद्दीपनों (प्रश्नों) के प्रति उनके व्यवहारों (उत्तरों) का निरीक्षण किया जा सके।"

3. बार, डेविस एवं जानॅसन के अनुसार, "यह उन प्रश्नों का सुव्यवस्थित संकलन है जिन्हें जनसंख्या के उस न्यादर्श के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। जिससे कि सूचना अपेक्षित है। प्रश्नावली एक युक्ति है जिसे उत्तरदाता स्वयं भरता है और अपने विषय में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर देता है। प्रश्नावली का प्रयोग आँकड़े प्राप्त करने के उपकरण के रूप में भी किया जाता है।"

प्रश्नावली विधि के प्रकार

प्रश्नावली को दो भागों में बाँटा जा सकता है-

1. संवृत अथवा प्रतिबन्धित रूप:- इस प्रकार की प्रश्नावली में प्रश्नों के साथ-साथ कुछ उत्तर भी दिये रहते हैं। ये उत्तर अधिकतर एकान्तर प्रकार के होते हैं; जैसे- हाँ नहीं, या सत्य असत्य अथवा चार विकल्पों वाले उत्तर होते हैं। उत्तरदाता को इनमें से किसी एक विकल्प का ही चयन करना होता है। इस प्रकार की प्रश्नावली में उत्तरदाता को किसी प्रकार की स्वतन्त्रता नहीं होती है।

2. विवृत अथवा अप्रतिबन्धित रूप:- इस प्रकार की प्रश्नावली में प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया होता है। इसमें उत्तरदाता अपने शब्दों में उत्तर देता है। वह अपने उत्तर को बड़ा करके भी दे सकता है और संक्षिप्त करके भी दे सकता है। इसमें उत्तरदाता किसी निश्चित उत्तर को देने के लिए बाध्य नहीं होता है। वह उत्तर के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतन्त्र होता है। विवृत प्रश्न का उदाहरण निम्न है-

"अभिप्रेरणा से आप क्या समझते हैं?"

उपर्युक्त प्रश्न का उत्तर कोई निश्चित नहीं है। प्रत्येक छात्र अपने-अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतन्त्र है। उपर्युक्त प्रश्न के कई उत्तर प्राप्त होंगे।

प्रश्नावली विधि की विशेषताएँ

प्रश्नावली विधि की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. उत्तम प्रश्नावली संक्षिप्त होती है, परन्तु आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए यह स्पष्ट होती है।
  2. उत्तम प्रश्नावली देखने में आकर्षक होती हैं तथा इसमें प्रश्न व्यवस्थित क्रम में होते हैं।
  3. अच्छी प्रश्नावली में निर्देश स्पष्ट एवं पूर्ण होते हैं। इसमें प्रमुख पद सुपरिभाषित होते हैं।
  4. अच्छी प्रश्नावली विश्वसनीय एवं वैध होती है।
  5. उत्तम प्रश्नावली से प्राप्त परिणामों का सारणीयन तथा विश्लेषण करना आसान होता है।
  6. उत्तम प्रश्नावली में सभी प्रश्न वस्तुनिष्ठ होते हैं। प्रश्नों से वांछित उत्तर प्राप्त करने के लिए कोई संकेत नहीं मिलता।
  7. इसके प्रत्येक प्रश्न का एक निश्चित उत्तर होता है। सभी प्रश्नों की भाषा सरल एवं स्पष्ट होती है जिससे उत्तरदाता को स्पष्ट रूप से सही उत्तर देने में सरलता होती है।
  8. प्रश्नावलीद्वारा उन्हीं सूचनाओं को संकलित किया जाता है। जो अन्य स्त्रोतों जैसे-स्कूली अभिलेखों से प्राप्त नहीं हो पाते हैं।

प्रश्नावली विधि की रचना

प्रश्नावली की रचना करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-

  1. प्रश्नावली बनाते समय ऐसे प्रश्नों को ही लिया जाये जो पूर्ण उत्तर माँगते हैं।
  2. प्रश्नो के उत्तर इस तरह से दिये गये हो जिनका अंकन संख्यात्मक रूप से करना सम्भव हो।
  3. एक प्रश्न के द्वारा एक ही उत्तर माँगा जाये।
  4. आवश्यक उत्तर प्राप्त करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
  5. प्रश्न के जिस शब्द पर विशेष बल देना हो, उसे रेखांकित कर दें। जैसे- क्या सभी विद्यालयों में कम्प्यूटर को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए।
  6. एक ही प्रश्न में दो बार निषेधात्मक शब्दों का प्रयोग न किया जाये।
  7. प्रश्नावली में उत्तर के रूप में विशेषण एवं क्रिया-विशेषण शब्दों का प्रयोग करते समय सावधानी रखनी चाहिए।
  8. प्रश्नावली में प्रयोग किये जाने वाले ऐसे पदों को परिभाषित कर लेना चाहिए जो प्रायः उत्तरदाता को भ्रम में डाल देते हैं।
  9. स्व-निर्मित प्रश्नावली का पूर्व परीक्षण अपने साथियों पर करें तथा प्रश्नावली का प्रत्येक प्रश्न बार-बार पढ़ते हैं। इससे ज्ञात हो जाता है कि कौन-सा प्रश्न द्विअर्थी तथा अस्पष्ट है।
  10. पूर्व-निर्मित अन्य विषयों या समस्याओं से सम्बन्धित अच्छी प्रश्नावलियों का अध्ययन करना चाहिए। अपने द्वारा बनाये गये प्रश्नों को अपने विभागीय साथियों के समक्ष आलोचना हेतु प्रस्तुत करे।

प्रश्नावली विधि के दोष

प्रश्नावली में निम्नलिखित दोष देखने को मिलते हैं-

  1. प्रश्नावलियों का उत्तर देने में प्रयोज्य को ऊब होने लगती है।
  2. प्रायः प्रश्नावली लम्बी होती है।
  3. प्रश्नावली में प्रयोज्य को अपने विचार व्यक्त करने की पूर्ण स्वतन्त्रता नहीं होती है।
  4. प्रश्नावली के द्वारा प्राप्त सूचनाओं की विश्वसनीयता संदिग्ध होती है।
  5. प्रश्नावली द्वारा प्रायः प्रयोज्य अपने वास्तविक मनोभावों को व्यक्त नहीं करता है।