अभिवृत्ति का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं विशेषताएं | Meaning, Definition, Types and Characteristics of Attitude in hindi
अभिवृत्ति का अर्थ
साधारण शब्दों में अभिवृत्ति से हमारा तात्पर्य व्यक्ति के उस दृष्टिकोण से है जो किसी व्यक्ति, वस्तु, संस्था अथवा स्थिति के प्रति किसी विशेष प्रकार के व्यवहार को इंगित करता है। अन्य शब्दों में, अभिवृत्तियां उन व्यक्तित्व प्रवृतियों की ओर संकेत करती हैं जिनके द्वार किसी निश्चित वस्तु, व्यक्ति या स्थिति के प्रति व्यक्ति व्यवहार का निर्णय लिया जाता है।
अभिवृत्ति की परिभाषा
1. फ्रीमैन के अनुसार, "अभिवृत्ति किन्हीं निश्चित परिस्थितियों व्यक्तियों एवं वस्तुओं के प्रति संगत रूप से प्रत्युत्तर देने वाली वह स्वाभाविक तत्परता है जिसे सीखा जाता है तथा यह किसी व्यक्ति विशेष के प्रत्युत्तर देने की लाक्षणिक रोति बन जाती है।"
2. थर्स्टन के अनुसार, "कुछ मनोवैज्ञानिक पदार्थों से सम्बन्धित सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभावों की मात्रा को अभिवृद्धि की संज्ञा दी गयी है।"
इस प्रकार अभिवृत्ति से तात्पर्य किसी व्यक्ति, संस्था, वस्तु या प्रक्रिया के प्रति अनुकूल एवं प्रतिकूल विचारों को व्यक्त करने से है।
अभिवृत्तियों के प्रकार
साधारणतया पक्ष-विपक्ष के आधार पर अभिवृत्तियों का वर्गीकरण दो प्रकार से होता है-
1. भावात्मक या सकारात्मक अभिवृत्तियाँ:- जब हम किसी वस्तु, व्यक्ति, संस्था, विचार, धर्म या प्रक्रिया के प्रति विश्वास रखते हैं। उसे पसन्द करते हैं, स्वीकार करते हैं, उसके प्रति आकर्षित होते हैं तथा उसके अनुकूल अपने को समायोजित करने की चेष्टा करते हैं, वह हमारी भावात्मक, धनात्मक, या सकारात्मक अभिवृत्ति कहलाती है।
2. निषेधात्मक या नकारात्मक अभिवृत्तियाँ:- इसके विपरीत जब हम किसी राजनैतिक पार्टी, प्रक्रिया, स्थान जाति या व्यक्ति को घृणा करते हैं। उनसे निराश होते हैं, उनमें अविश्वास रखते हैं तथा अपने को दूर रखने का प्रयास करते हैं, वह हमारी निषेधात्मक, ऋणात्मक एवं नकारात्मक अभिवृत्ति कहलाती है।अभिवृत्ति की विशेषताएं
अभिवृत्ति की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
- अभिवृत्ति किसी वस्तु या प्रक्रिया के प्रति व्यक्ति की स्वाभाविक तत्परता है।
- इसका स्वरूप स्वायों एवं एक रूप होता है।
- यह सदैव परिवर्तनशील होती है।
- यह व्यक्ति की विशिष्ट दिशा को निर्देशित करती है।
- यह किसी व्यक्ति वस्तु सम्बन्ध की ओर संकेत करती है तथा इस सम्बन्ध को प्रमुख विशेषता इसको दिशात्मकता है जिसका प्रमाण पसन्द नापसन्द प्रतिक्रियाओं से मिलता है।
- यह प्रायः भाव एवं संवेगों से सम्बन्धित होती है।
- यह अनुभवों के आधार पर अर्जित होती है तथा वस्तुओं, मूल्यों एवं व्यक्तियों के सम्बन्ध से सीखा जाती है।
- इनके विकास में प्रत्यक्षीकरण एवं संवेगात्मक तत्व सहायक होते हैं।
अभिवृत्ति की विमाएं
अभिवृत्ति की विमाएँ निम्नलिखित हैं-
1. दिशा:- अभिवृत्तियाँ सदैव दो दिशाओं-पक्ष एवं विपक्ष में व्यक्त की जाती हैं।
2. तीव्रता:- अभिवृत्ति की तीव्रता भाव एवं संवेग की शक्ति पर आधारित होती है।
3. उन्मुक्तता:- यह अभिवृत्ति व्यक्त करने की तैयारी है जिसके साथ अभिवृत्ति जाग्रत होती है।
4. स्थिरता:- यह इस बात का द्योतक है कि विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्ति अपनी अभिवृत्ति को कितना स्थिर रख सकता है।
5. सामान्य बनाम व्यक्तिगत:- यह सामान्य तथा व्यक्तिगत दोनों ही प्रकार से प्रदर्शित की जाती है।
अभिवृत्ति मापन की आवश्यक
बुद्धि और अभियोग्यता के होते हुए भी यदि छात्र में कक्षा कार्य के प्रति उत्तम अभिवृत्तियों का अभाव है, तो अधिगम की मात्रा निश्चित रूप से कम होगी। विषय के प्रति अभिवृत्ति छात्रों को सीखने के लिए अभिप्रेरणा प्रदान करती है। शिक्षक संगी सार्थियों, विद्यालय, कक्षा-क्रियाओं व पढ़ाये जाने वाले विविध विषयों के प्रति अच्छी अभिवृत्तियाँ शिक्षक के उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक होती हैं।
इसके विपरीत इन वस्तुओं तथा व्यक्तियों के प्रति छात्रों की विकृत अभिवृत्तियाँ, विद्यालय तथा शिक्षा के प्रति तटस्थता तथा अनेक विद्रोह की भावना पैदा कर देती है। फलस्वरूप शिक्षा के अन्तिम लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न हो जाती है। अतः अध्यापक के लिए छात्रों की बुद्धि और अभियोग्यता का परीक्षण जितना आवश्यक और महत्वपूर्ण है, अभिवृत्तियों का मापन उससे कम नहीं है। अभिवृत्ति-मापन निम्नलिखित बिन्दुओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है-
- अभिवृत्ति बालक की विषयगत उपलब्धि तथा सीखने के तरीके दोनों की ही प्रमाणित करती है।
- अभिवृत्तियों का विकास शिक्षा का मुख्य उद्देश्य माना जाता है। बालक उन बातों को याद रखते हैं, जिनके प्रति उनको अभिवृत्ति सकारात्मक होती है तथा उन बातों को जाते भूल है जिनके प्रति उनकी विकृत अभिवृत्ति होती है।