खुली किताब परीक्षा प्रणाली | Open Book Examination System in hindi
खुली पुस्तक परीक्षा व्यवस्था
खुली पुस्तक परीक्षा व्यवस्था वह व्यवस्था है, जिसमें परीक्षार्थी को प्रश्नों के उत्तर देते समय अपनी पाठ्य-पुस्तको, नोट्स तथा दूसरी पाठ्य-सामग्री से परामर्श करने की आज्ञा दी जाती है। खुली पुस्तक परीक्षा व्यवस्था में समस्या समाधान तथा आलोचनात्मक चिंतन के कौशलों की जांच की जाती है। खुली पुस्तक परीक्षा में परीक्षार्थी को शब्द-कोष, लोगरिथम टेबल आदि के प्रयोग की भी इजाजत होती है।
खुली पुस्तक परीक्षा का उद्देश्य सूचना तथा ज्ञान को ढूंढ़ना तथा उसका प्रयोग करने की योग्यता को जांचना है। खुली पुस्तक परीक्षा परीक्षार्थी की याददाश्त का परीक्षण नहीं करती है। यह परीक्षा समस्या-समाधान के लिए सूचना को प्राप्त करना तथा उसको प्रयोग करने की योजना का परीक्षण करना है।
खुली पुस्तक परीक्षा की संरचना
खुली पुस्तक परीक्षा की व्यवस्था में अनेक तरीके हैं-
1. परीक्षा के दौरान परीक्षार्थी को पाठ्य-पुस्तकें, परीक्षा नोट्स तथा अनेक संसाधनों तथा संदर्भों के प्रयोग करने की आज्ञा होती है।
2. परीक्षार्थियों को परीक्षा से पहले ही प्रश्न उपलब्ध करवा दिए जाते है और इस प्रकार परीक्षार्थी पहले से ही तैयार संसाधनों का प्रयोग परीक्षा में कर सकते हैं।
3. दूसरे प्रारूप में परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र घर पर ले जाने के लिए दे दिए जाते हैं। ये प्रश्न निबंधात्मक, लघुत्तरात्मक तथा बहु-विकल्पीय प्रश्न हो सकते है। परीक्षार्थियों को निश्चित अवधि के भीतर परीक्षा पेपरों को लौटाना होता है।
खुली पुस्तक परीक्षा व्यवस्था के लाभ
खुली पुस्तक परीक्षा व्यवस्था के लाभ निम्न हैं-
- खुली पुस्तक परीक्षा व्यवस्था में परीक्षार्थी को सामग्री रटने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। उन्हें तथ्यों तथा आकृतियों तथा पुस्तकों को परीक्षा में प्रयोग करने की आज्ञा होती है।
- इससे विद्यार्थियों में समस्यात्मक समाधान के लिए आलोचनात्मक चिंतन का विकास होता है।
- इससे बच्चों में बोध तथा संश्लेषणात्मक कौशलों का विकास होता है, क्योंकि इसमें विद्यार्थियों को पाठ्य-पुस्तक तथा अन्य अध्ययन सामग्री की परीक्षा के लिए उसे कम या संक्षिप्त करना पड़ता है।
- इससे बच्चों में सूचना खोजने से संबंधित कौशलों का विकास होता है। जब वे पुस्तकों तथा अन्य संसाधनों से आवश्यक सूचना को इकट्ठा करते हैं।
मांग पर परीक्षा
मांग पर परीक्षा के अनुसार विद्यार्थी जब यह महसूस करे कि वह परीक्षा के लिए तैयार हैं तो वह परीक्षा केन्द्र पर आकर परीक्षा दे सकता है। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान में माध्यमिक स्तर पर 2003 में तथा वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर 2007 में 'मांग पर परीक्षा' शुरू की गई है। मांग पर परीक्षा के लिए प्रश्न-पत्र विषय के पेपर प्रारूप तथा ब्लू-प्रिंट पर आधारित पहले से ही तैयार प्रश्न बैंक से कम्प्यूटर द्वारा निकाला जाता है। यह प्रश्न पत्र कठिनाई के स्तर के अनुसार निश्चित किया जाता है। मांग पर परीक्षा में बच्चों के अधिगम उद्देश्यों को जांचने के लिए ज्ञान, समझ, प्रयोग तथा कौशलों की परीक्षा ली जाती है।
मांग पर परीक्षा के लाभ
- मांग पर परीक्षा में परीक्षार्थी जब परीक्षा देता है जब वह परीक्षा देने के लिए तैयार होता है। तैयारी विद्यार्थी पर निर्भर करती है, न कि समस्या पर।
- इससे बच्चों में परीक्षा से संबंधित तनाव कम हो जाता है।
- इससे परीक्षा में असफल होने के भय से मुक्ति मिलती है।
- परीक्षा का परिणाम अति शीघ्र प्राप्त होता है।
- प्रत्येक परीक्षार्थी के लिए उनके कठिनाई स्तर के अनुसार पेपर तैयार किया जाता है।