रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण | Rosha Syahi Dhabba Parikshan

सिद्धान्त

स्याही धब्बा परीक्षण के प्रवर्तक हरमैन रौर्शा हैं जो एक मनोवैज्ञानिक चिकित्सक थे। उनका मानना है कि व्यक्ति का व्यवहार चेतन से अचेतन पर अवलम्बित रहता है और व्यक्ति का कोई भी वह कार्य जो उसके अचेतन से संचालित होता है, उसके व्यक्तित्व की सहज अभिव्यक्ति दिखाई पड़ती है। तथा उसके व्यक्तित्व के यथार्थ विशेषताओं का द्योतक है। रोश ने कहा कि इसी तरह की अभिव्यक्ति उसके समक्ष किसी अपरम्परागत उददीपक प्रस्तुत करके प्राप्त की जा सकती है। अपरम्परागत उदद्दीपक के प्रति अनुक्रिया में व्यक्ति अत्यधिक कियाशील होता है. उस स्थिति में उसके वास्तविक लक्षणों के विषय में जानकारी अर्जित की जा सकती है।

Rosha Syahi Dhabba Parikshan

परीक्षण सामग्री

इस परीक्षण में 24 सेमी x 17 सेमी आकार के 10 कार्ड होते हैं जिन पर विभिन्न रंगो की स्याही से बने धब्बे बने रहते हैं। इन कार्डों में 5 कार्ड बिल्कुल काले, 2 कार्ड काले एवं लाल रंग के तथा 3 कार्ड पर अनेक रंगों की स्वाहियों के धब्बे होते हैं।

परीक्षण विधि

रोर्शा विधि का प्रयोग करने के लिए परीक्षक प्रशिक्षक की जरूरत होती है। परीक्षण प्रयोग करने से पहले परीक्षक द्वारा परीक्षार्थी को निर्देशित करते हुए कहता है-विभिन्न व्यक्तियों को इन धब्बों में विभिन्न वस्तुएँ दिखाई देती हैं। ये धब्बे एक-एक करके दिखाये जायेंगे। प्रत्येक कार्ड को ध्यान से देखिये और हमें बताइये कि आप इसमें क्या देखते हो? जितने समय तक कार्ड देखना चाहो देख सकते हो लेकिन जो वस्तु इस चित्र में आपको दिखाई पड़ती है उन सबको बताते जाइये। जब आप उसको पूरी तरह देख ले तब हमें वापस कर दो, एक धब्बे वाले कार्ड को दिखाते हुए यह क्या हो सकता है?

उपर्युक्त निर्देशोपरान्त एक-एक करके ये कार्ड परीक्षार्थी को दिखाये जाते हैं। परीक्षार्थी इन धब्बे को देखने के उपरान्त जो भी प्रतिक्रिया करता है। परीक्षक उन्हें चार्टो पर अंकित कर लेता है और फिर चाटों की सहायता से परीक्षार्थी की प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया जाता है।

विश्लेषण

परीक्षार्थी की अनुक्रियाओं के विश्लेषण एवं व्याख्या में निम्नलिखित चार बातों का ध्यान रखा जाता है-

  1. स्थान:— परीक्षक द्वारा यह देखा जाता है कि परीक्षार्थी ने धब्बे के किसी विशेष भार के प्रति प्रतिक्रिया की है या पूरे धब्बे के प्रति।
  2. गुण:- इसके अन्तर्गत परीक्षक यह देखता है कि परीक्षार्थी की प्रतिक्रिया धब्बे की बनावट के कारण है अथवा धव्वे में प्रयुक्त विभिन्न गति या रंगों के कारण।
  3. विषय:– इसके अन्तर्गत परीक्षक यह देखता है कि परीक्षार्थी ने किसी कार्ड के धब्बे में मानवीय आकृति देखी है या जानवरों की या किसी प्राकृतिक दृश्य की।
  4. समय:- इसमें परीक्षक द्वारा यह देखा जाता है कि परीक्षार्थी ने धब्बे का अवलोकन करने में कितना समय लगाया।

निष्कर्ष

विश्लेषणोपरान्त परीक्षक निम्नलिखित निष्कर्ष निकालता है-

  • यदि परीक्षार्थी द्वारा सम्पूर्ण धब्बों को ध्यान में रखते हुए प्रतिक्रिया दी गयी है तो वह व्यावहारिक व्यक्ति न होकर सैद्धान्तिक व्यक्ति है।
  • यदि परीक्षार्थी द्वारा धब्बों के आंशिक भागों के प्रति प्रतिक्रिया की गई है तो वह छोटी-छोटी और अनावश्यक बातों की तरफ ध्यान देने वाला व्यक्ति है।
  • यदि परीक्षार्थी द्वारा धब्बों में मानव या पशुओं द्वारा गति देखी गई है तो वह अन्तर्मुखी व्यक्ति है।
  • यदि परीक्षार्थी द्वारा रंगों के प्रतिक्रिया की गई है तो उसमें संवेगों की अधिकता है।

उपयोगिता

इस परीक्षक के माध्यम से परीक्षार्थी के ज्ञानात्मक, क्रियात्मक एवं भावात्मक पक्षों को मापा जाता है। इसको प्रयोग मानसिक रोगों के निदान, उपचार तथा बाल-निर्देशन में भी होती है।